अमरकोषसम्पद्

         

+भिदिर (नपुं) == इन्द्रस्य वज्रायुधम्

ह्रादिनी वज्रमस्त्री स्यात् कुलिशं भिदुरं पविः 
स्वर्गवर्गः 1.1.47.1.4.2

पर्यायपदानि
 ह्रादिनी वज्रमस्त्री स्यात् कुलिशं भिदुरं पविः।
 शतकोटिः स्वरुः शम्बो दम्भोलिरशनिर्द्वयोः॥

 ह्रादिनी (स्त्री)
 वज्र (पुं-नपुं)
 कुलिश (पुं-नपुं)
 भिदुर (नपुं)
 +भिदिर (नपुं)
 पवि (पुं)
 शतकोटि (पुं)
 स्वरु (पुं)
 +स्वरुस् (पुं)
 शम्ब (पुं)
 +सम्ब (पुं)
 +शम्व (पुं)
 दम्भोलि (पुं)
 अशनि (स्त्री-पुं)
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