अमरकोषसम्पद्

         

अप्पित्त (नपुं) == अग्निः

शुचिरप्पित्तमौर्वस्तु वाडवो वडवानलः 
स्वर्गवर्गः 1.1.56.2.2

पर्यायपदानि
 अग्निर्वैश्वानरो वह्निर्वीतिहोत्रो धनञ्जयः।
 कृपीटयोनिर्ज्वलनो जातवेदास्तनूनपात्॥
 बर्हिः शुष्मा कृष्णवर्त्मा शोचिष्केश उषर्बुधः।
 आश्रयाशो बृहद्भानुः कृशानुः पावकोऽनलः॥
 रोहिताश्वो वायुसखः शिखावानाशुशुक्षणिः।
 हिरण्यरेता हुतभुग्दहनो हव्यवाहनः॥
 सप्तार्चिर्दमुनाः शुक्रश्चित्रभानुर्विभावसुः।
 शुचिरप्पित्तमौर्वस्तु वाडवो वडवानलः॥

 अग्नि (पुं)
 वैश्वानर (पुं)
 वह्नि (पुं)
 वीतिहोत्र (पुं)
 धनञ्जय (पुं)
 कृपीटयोनि (पुं)
 ज्वलन (पुं)
 जातवेदस् (पुं)
 तनूनपात् (पुं)
 बर्हिस् (पुं)
 +बर्हि (पुं)
 शुष्मन् (पुं)
 +बर्हिःशुष्मन् (पुं)
 कृष्णवर्त्मन् (पुं)
 शोचिष्केश (पुं)
 उषर्बुध (पुं)
 आश्रयाश (पुं)
 +आशयाश (पुं)
 बृहद्भानु (पुं)
 कृशानु (पुं)
 पावक (पुं)
 अनल (पुं)
 रोहिताश्व (पुं)
 +लोहिताश्व (पुं)
 वायुसख (पुं)
 शिखावत् (पुं)
 आशुशुक्षणि (पुं)
 हिरण्यरेतस् (पुं)
 हुतभुज् (पुं)
 दहन (पुं)
 हव्यवाहन (पुं)
 सप्तार्चिस् (पुं)
 +सप्तार्चिस् (पुं)
 दमुनस् (पुं)
 +दमूनस् (पुं)
 शुक्र (पुं)
 चित्रभानु (पुं)
 विभावसु (पुं)
 शुचि (पुं)
 अप्पित्त (नपुं)
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