अमरकोषसम्पद्

         

वृन्दारक (पुं) == देवः

वृन्दारका दैवतानि पुंसि वा देवताः स्त्रियाम् 
स्वर्गवर्गः 1.1.9.2.1

पर्यायपदानि
 अमरा निर्जरा देवास्त्रिदशा विबुधाः सुराः।
 सुपर्वाणः सुमनसस्त्रिदिवेशा दिवौकसः॥
 आदितेया दिविषदो लेखा अदितिनन्दनाः।
 आदित्या ऋभवोऽस्वप्ना अमर्त्या अमृतान्धसः॥
 बर्हिर्मुखाः क्रतुभुजो गीर्वाणा दानवारयः।
 वृन्दारका दैवतानि पुंसि वा देवताः स्त्रियाम्॥

 अमर (पुं)
 निर्जरस् (पुं)
 देव (पुं)
 त्रिदश (पुं)
 विबुध (पुं)
 सुर (पुं)
 सुपर्वन् (पुं)
 सुमनस् (पुं)
 त्रिदिवेश (पुं)
 दिवौकस् (पुं)
 +दिवौकः (पुं)
 आदितेय (पुं)
 दिविषद् (पुं)
 लेख (पुं)
 अदितिनन्दन (पुं)
 आदित्य (पुं)
 ऋभव (पुं)
 अस्वप्न (पुं)
 अमर्त्य (पुं)
 अमृतान्धस् (पुं)
 बर्हिर्मुख (पुं)
 क्रतुभुज् (पुं)
 गीर्वाण (पुं)
 +गीर्बाण (पुं)
 दानवारि (पुं)
 वृन्दारक (पुं)
 दैवत (पुं-नपुं)
 देवता (स्त्री)
अर्थान्तरम्
 वृन्दारकौ रूपिमुख्यावेके मुख्यान्यकेवलाः॥

 वृन्दारक (वि) - मुख्यः 3.3.16.2
 वृन्दारक (वि) - रूपिः 3.3.16.2
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