अमरकोषसम्पद्

         

नभस् (पुं) == आकाशः

नभोऽन्तरिक्षं गगनमनन्तं सुरवर्त्म खम् 
व्योमवर्गः 1.2.1.2.1

पर्यायपदानि
 द्योदिवौ द्वे स्त्रियामभ्रं व्योम पुष्करमम्बरम्।
 नभोऽन्तरिक्षं गगनमनन्तं सुरवर्त्म खम्।
 वियद्विष्णुपदं वा तु पुंस्याकाशविहायसी।
 विहायसोऽपि नाकोऽपि द्युरपि स्यात्तदव्ययम्।
 तारापथोऽन्तरिक्षं च मेघाध्वा च महाबिलम्।
 विहायाः शकुने पुंसि गगने पुन्नपुंसकम्॥

 द्यो (स्त्री)
 दिव् (स्त्री)
 अभ्र (नपुं)
 व्योमन् (नपुं)
 पुष्कर (नपुं)
 अम्बर (नपुं)
 नभस् (पुं)
 अन्तरिक्ष (नपुं)
 गगन (नपुं)
 अनन्त (नपुं)
 सुरवर्त्मन् (नपुं)
 ख (नपुं)
 वियत् (नपुं)
 विष्णुपद (नपुं)
 आकाश (पुं-नपुं)
 विहायस् (पुं-नपुं)
 विहायस् (पुं)
 नाक (पुं)
 द्यु (अव्य)
 अव्यय (वि)
 तारापथ (पुं)
 अन्तरिक्ष (नपुं)
 मेघाध्वन् (पुं)
 महाबिल (नपुं)
 शकुन (पुं)
 गगन (नपुं)
अर्थान्तरम्
 आषाढे श्रावणे तु स्यान्नभाः श्रावणिकश्च सः॥
 सहो बलं सहा मार्गो नभः खं श्रावणो नभाः॥

 नभस् (पुं) - श्रावणमासः 1.4.16.2
 नभस् (पुं) - श्रावणमासः 3.3.233.2
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