अमरकोषसम्पद्

         

शस्त (नपुं) == शुभम्

शस्तं चाथ त्रिषु द्रव्ये पापं पुण्यं सुखादि च 
कालवर्गः 1.4.26.2.1

पर्यायपदानि
 श्वःश्रेयसं शिवं भद्रं कल्याणं मङ्गलं शुभम्॥
 भावुकं भविकं भव्यं कुशलं क्षेममस्त्रियाम्।
 शस्तं चाथ त्रिषु द्रव्ये पापं पुण्यं सुखादि च॥

 श्वःश्रेयस (नपुं)
 शिव (नपुं)
 भद्र (नपुं)
 कल्याण (नपुं)
 मङ्गल (नपुं)
 शुभ (नपुं)
 भावुक (नपुं)
 भविक (नपुं)
 भव्य (नपुं)
 कुशल (नपुं)
 +कुषल (नपुं)
 क्षेम (पुं-नपुं)
 शस्त (नपुं)
अर्थान्तरम्
 ईलितशस्तपणायितपनायितप्रणुतपणितपनितानि॥

 शस्त (वि) - स्तुतम् 3.1.109.2
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