अमरकोषसम्पद्

         

वर (पुं) == वेष्टनसम्भक्तिः

व्यधो वेधे पचा पाके हवो हूतौ वरो वृत्तौ 
सङ्कीर्णवर्गः 3.2.8.2.7

पर्यायपदानि
 व्यधो वेधे पचा पाके हवो हूतौ वरो वृत्तौ॥

 वर (पुं)
 वृत्ति (स्त्री)
अर्थान्तरम्
 काश्मीरजन्माग्निशिखं वरं वाह्लीकपीतने।
 देवाद्वृते वरः श्रेष्ठे त्रिषु क्लीबं मनाक्प्रिये॥

 वर (नपुं) - कुङ्कुमम् 2.6.124.1
 वर (पुं) - देवाद्वृतः 3.3.173.2
 वर (नपुं) - मनाक्प्रियः 3.3.173.2
 वर (वि) - श्रेष्ठः 3.3.173.2
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