अमरकोषसम्पद्

         

शिपिविष्ट (पुं) == शिवः

शिपिविष्टस्तु खलतौ दुश्चर्मणि महेश्वरे 
नानार्थवर्गः 3.3.34.2.1

पर्यायपदानि
 गोधुग्गोष्ठपती गोपौ हरविष्णू वृषाकपी।
 अजा विष्णुहरच्छागा गोष्ठाध्वनिवहा व्रजाः॥
 शिपिविष्टस्तु खलतौ दुश्चर्मणि महेश्वरे॥
 पटुर्द्वौ वाच्यलिङ्गौ च नीलकण्ठः शिवेऽपि च।

 अज (पुं)
 शिपिविष्ट (पुं)
 नीलकण्ठ (पुं)
 वृषाकपि (पुं)
अर्थान्तरम्
 शिपिविष्टस्तु खलतौ दुश्चर्मणि महेश्वरे॥

 शिपिविष्ट (पुं) - खलः 3.3.34.2
 शिपिविष्ट (पुं) - दुश्चर्मः 3.3.34.2
शिपिविष्ट (पुं) == खलः

शिपिविष्टस्तु खलतौ दुश्चर्मणि महेश्वरे 
नानार्थवर्गः 3.3.34.2.1

पर्यायपदानि
 गोधुग्गोष्ठपती गोपौ हरविष्णू वृषाकपी।
 अजा विष्णुहरच्छागा गोष्ठाध्वनिवहा व्रजाः॥
 शिपिविष्टस्तु खलतौ दुश्चर्मणि महेश्वरे॥
 पटुर्द्वौ वाच्यलिङ्गौ च नीलकण्ठः शिवेऽपि च।

 अज (पुं)
 शिपिविष्ट (पुं)
 नीलकण्ठ (पुं)
 वृषाकपि (पुं)
अर्थान्तरम्
 शिपिविष्टस्तु खलतौ दुश्चर्मणि महेश्वरे॥

 शिपिविष्ट (पुं) - खलः 3.3.34.2
 शिपिविष्ट (पुं) - दुश्चर्मः 3.3.34.2
शिपिविष्ट (पुं) == दुश्चर्मः

शिपिविष्टस्तु खलतौ दुश्चर्मणि महेश्वरे 
नानार्थवर्गः 3.3.34.2.1

पर्यायपदानि
 गोधुग्गोष्ठपती गोपौ हरविष्णू वृषाकपी।
 अजा विष्णुहरच्छागा गोष्ठाध्वनिवहा व्रजाः॥
 शिपिविष्टस्तु खलतौ दुश्चर्मणि महेश्वरे॥
 पटुर्द्वौ वाच्यलिङ्गौ च नीलकण्ठः शिवेऽपि च।

 अज (पुं)
 शिपिविष्ट (पुं)
 नीलकण्ठ (पुं)
 वृषाकपि (पुं)
अर्थान्तरम्
 शिपिविष्टस्तु खलतौ दुश्चर्मणि महेश्वरे॥

 शिपिविष्ट (पुं) - खलः 3.3.34.2
 शिपिविष्ट (पुं) - दुश्चर्मः 3.3.34.2
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