अमरकोषसम्पद्

         

पुरवर्गः
नगरम्. (5) - पुर् (स्त्री), पुरी (स्त्री), नगरी (स्त्री-नपुं), पत्तन (नपुं), पुटभेदन (नपुं)
पूः स्त्री पुरीनगर्यौ वा पत्तनं पुटभेदनम्
2.2.1.1
नगरम्. (2) - स्थानीय (नपुं), निगम (पुं)
राजधानी. (1) - मूलनगर (नपुं)
मूलनगरादन्यनगरम्. (1) - पुर (पुं)
स्थानीयं निगमोऽन्यत्तु यन्मूलनगरात्पुरम्
2.2.1.2
मूलनगरादन्यनगरम्. (1) - शाखानगर (नपुं)
वेश्यानिवासः. (2) - वेश (पुं), वेश्याजनसमाश्रय (पुं)
तच्छाखानगरं वेशो वेश्याजनसमाश्रयः
2.2.2.1
क्रय्यवस्तुशाला. (2) - आपण (पुं), निषद्या (स्त्री)
क्रय्यवस्तुशालापङ्क्तिः. (2) - विपणि (स्त्री-पुं), पण्यवीथिका (स्त्री)
आपणस्तु निषद्यायां विपणिः पण्यवीथिका
2.2.2.2
ग्राममध्यमार्गः. (3) - रथ्या (स्त्री), प्रतोली (स्त्री), विशिखा (स्त्री)
परिखोद्धृतमृत्तिकाकूटः. (2) - चय (पुं), वप्र (पुं-नपुं)
रथ्या प्रतोली विशिखा स्याच्चयो वप्रमस्त्रियाम्
2.2.3.1
यष्टिकाकण्टकादिरचितवेष्टनम्. (3) - प्राकार (पुं), वरण (पुं), साल (पुं)
कण्टकादिवेष्टनम्. (1) - प्राचीन (नपुं)
प्राकारो वरणः सालः प्राचीनं प्रान्ततो वृतिः
2.2.3.2
भित्तिः. (2) - भित्ति (स्त्री), कुड्य (नपुं)
अस्थ्यादिमयभित्तिः. (1) - एडूक (नपुं)
भित्तिः स्त्री कुड्यमेडूकं यदन्तर्न्यस्तकीकसम्
2.2.4.1
गृहम्. (6) - गृह (नपुं), गेह (पुं-नपुं), उदवसित (नपुं), वेश्मन् (नपुं), सद्मन् (नपुं), निकेतन (नपुं)
गृहं गेहोदवसितं वेश्म सद्म निकेतनम्
2.2.4.2
गृहम्. (6) - निशान्त (नपुं), वस्त्य (नपुं), सदन (नपुं), भवन (नपुं), आगार (नपुं), मन्दिर (नपुं)
निशान्तवस्त्यसदनं भवनागारमन्दिरम्
2.2.5.1
गृहम्. (4) - गृह (पुं-बहु), निकाय्य (पुं), निलय (पुं), आलय (पुं)
गृहाः पुंसि च भूम्न्येव निकाय्यनिलयालयाः
2.2.5.2
सभागृहम्. (4) - वास (पुं), कुटी (स्त्री-पुं), शाला (स्त्री), सभा (स्त्री)
अन्योन्याभिमुखशालाचतुष्कम्. (1) - सञ्जवन (नपुं)
वासः कुटी द्वयोः शाला सभा सञ्जवनं त्विदम्
2.2.6.1
अन्योन्याभिमुखशालाचतुष्कम्. (1) - चतुःशाल (नपुं)
मुनीनां गृहम्. (2) - पर्णशाला (स्त्री), उटज (पुं-नपुं)
चतुःशालं मुनीनां तु पर्णशालोटजोऽस्त्रियाम्
2.2.6.2
यज्ञस्थानम्. (2) - चैत्य (नपुं), आयतन (नपुं)
अश्वालयः. (2) - वाजिशाला (स्त्री), मन्दुरा (स्त्री)
चैत्यमायतनं तुल्ये वाजिशाला तु मन्दुरा
2.2.7.1
स्वर्णकारादीनाम् शाला. (2) - आवेशन (नपुं), शिल्पिशाला (स्त्री)
जलशाला. (2) - प्रपा (स्त्री), पानीयशालिका (स्त्री)
आवेशनं शिल्पिशाला प्रपा पानीयशालिका
2.2.7.2
शिष्याणां निलयः. (1) - मठ (पुं)
मद्यसन्धानगृहम्. (2) - गञ्जा (स्त्री), मदिरागृह (नपुं)
मठश्छात्रादिनिलयो गञ्जा तु मदिरागृहम्
2.2.8.1
गृहमध्यभागः. (2) - गर्भागार (नपुं), वासगृह (नपुं)
प्रसवस्थानम्. (2) - अरिष्ट (नपुं), सूतिकागृह (नपुं)
गर्भागारं वासगृहमरिष्टं सूतिकागृहम्
2.2.8.2
कुट्टिमोऽस्त्री निबद्धा भूश्चन्द्रशाला शिरोगृहम्
2.2.8.3
पाषाणादिनिबद्धा भूः. (1) - कुट्टिम (पुं)
चन्द्रशाला. (2) - चन्द्रशाला (स्त्री), शिरोगृह (नपुं)
वातायनं गवाक्षोऽथ मण्डपोऽस्त्री जनाश्रयः
2.2.9.1
जालकम्. (2) - वातायन (नपुं), गवाक्ष (पुं)
मण्डपः. (2) - मण्डप (पुं-नपुं), जनाश्रय (पुं)
हर्म्यादि धनिनां वासः प्रासादो देवभूभुजाम्
2.2.9.2
राजगृहम्. (2) - सौध (पुं-नपुं), राजसदन (नपुं)
राजगृहसामान्यम्. (2) - उपकार्या (स्त्री), उपकारिका (स्त्री)
सौधोऽस्त्री राजसदनमुपकार्योपकारिका
2.2.10.1
ईश्वरगृहविशेषः. (3) - स्वस्तिक (पुं), सर्वतोभद्र (पुं), नन्द्यावर्त (पुं)
स्वस्तिकः सर्वतोभद्रो नन्द्यावर्तादयोऽपि च
2.2.10.2
ईश्वरगृहविशेषः. (2) - विच्छन्दक (पुं), प्रभेद (पुं)
विच्छन्दकः प्रभेदा हि भवन्तीश्वरसद्मनाम्
2.2.11.1
राज्ञां स्त्रीगृहम्. (2) - स्त्र्यगार (नपुं), अन्तःपुर (नपुं)
स्त्र्यगारं भूभुजामन्तःपुरं स्यादवरोधनम्
2.2.11.2
राज्ञां स्त्रीगृहम्. (2) - शुद्धान्त (पुं), अवरोधन (नपुं)
हर्म्याद्युपरिगृहम्. (2) - अट्ट (पुं), क्षौम (पुं-नपुं)
शुद्धान्तश्चावरोधश्च स्यादट्टः क्षौममस्त्रियाम्
2.2.12.1
त्रीणिद्वाराद्बहिर्वर्तमानः प्रकोष्टकः. (3) - प्रघाण (पुं), प्रघण (पुं), अलिन्द (पुं)
प्रघाणप्रघणालिन्दा बहिर्द्वारप्रकोष्ठके
2.2.12.2
देहली. (2) - गृहावग्रहणी (स्त्री), देहली (स्त्री)
प्राङ्गणम्. (3) - अङ्गण (नपुं), चत्वर (नपुं), अजिर (नपुं)
गृहावग्रहणी देहल्यङ्गणं चत्वराजिरे
2.2.13.1
द्वारस्तम्भाधःस्थितकाष्ठम्. (1) - शिला (स्त्री)
द्वारस्तम्भोपरिस्थितदारुः. (1) - नासा (स्त्री)
अधस्ताद्दारुणिशिला नासा दारूपरि स्थितम्
2.2.13.2
गुप्तद्वारम्. (2) - प्रच्छन्न (नपुं), अन्तर्द्वार (नपुं)
पार्श्वद्वारम्. (2) - पक्षद्वार (नपुं), पक्षक (पुं)
प्रच्छन्नमन्तर्द्वारं स्यात्पक्षद्वारं तु पक्षकम्
2.2.14.1
गृहाच्छादनपटलप्रान्तभागः. (3) - वलीक (पुं-नपुं), नीध्र (नपुं), पटलप्रान्त (पुं)
छादनम्. (2) - पटल (नपुं), छदिस् (स्त्री)
वलीकनीध्रे पटलप्रान्तेऽथ पटलं छदिः
2.2.14.2
छादनार्थवक्रदारुः. (2) - गोपानसी (स्त्री), वलभी (स्त्री)
गोपानसी तु वलभी छादने वक्रदारुणि
2.2.15.1
गृहप्रान्तस्थपक्षिस्थानम्. (2) - कपोतपालिका (स्त्री), विटङ्क (पुं-नपुं)
कपोतपालिकायां तु विटङ्कं पुन्नपुंसकम्
2.2.15.2
द्वारम्. (3) - द्वा (स्त्री), द्वार (नपुं), प्रतीहार (पुं)
प्राङ्गणस्थोपवेशस्थानम्. (2) - वितर्दि (स्त्री), वेदिका (स्त्री)
स्त्री द्वार्द्वारं प्रतीहारः स्याद्वितर्दिस्तु वेदिका
2.2.16.1
द्वारबाह्यभागम्. (2) - तोरण (पुं-नपुं), बहिर्द्वार (नपुं)
नगरद्वारम्. (2) - पुरद्वार (नपुं), गोपुर (नपुं)
तोरणोऽस्त्री बहिर्द्वारम्पुरद्वारं तु गोपुरम्
2.2.16.2
नगरद्वारावतरणार्थं कृतं मृत्कूटम्. (1) - हस्तिनख (पुं)
कूटं पूर्द्वारि यद्धस्तिनखस्तस्मिन्नथ त्रिषु
2.2.17.1
कवाटम्. (2) - कपाट (वि), अरर (वि)
कवाटबन्धनकाष्ठम्. (1) - अर्गल (स्त्री-नपुं)
कपाटमररं तुल्ये तद्विष्कम्भोऽर्गलं न ना
2.2.17.2
सौधाद्यारोहणमार्गः. (2) - आरोहण (नपुं), सोपान (नपुं)
काष्टादिकृतावरोहणमार्गः. (2) - निःश्रेणि (स्त्री), अधिरोहिणी (स्त्री)
आरोहणं स्यात्सोपानं निश्रेणिस्त्वधिरोहिणी
2.2.18.1
गृहसम्मार्जनी. (2) - सम्मार्जनी (स्त्री), शोधनी (स्त्री)
गृहशोधन्याक्षिप्त धूल्यादिः-कचरा. (2) - सङ्कर (पुं), अवकर (पुं)
संमार्जनी शोधनी स्यात्सङ्करोऽवकरस्तथा
2.2.18.2
गृहनिर्गमनप्रवेशमार्गः. (2) - मुख (नपुं), निःसरण (नपुं)
गृहरचनापरिच्छिन्नदेशः. (2) - संनिवेश (पुं), निकर्षण (नपुं)
क्षिप्ते मुखं निःसरणं संनिवेशो निकर्षणम्
2.2.19.1
ग्रामः. (2) - संवसथ (पुं), ग्राम (पुं)
गृहरचनावच्छिन्नवास्तुभूमिः. (2) - वेश्मभू (स्त्री), वास्तु (पुं-नपुं)
समौ संवसथग्रामौ वेश्मभूर्वास्तुरस्त्रियाम्
2.2.19.2
ग्रामादिसमीपदेशः. (2) - ग्रामान्त (नपुं), उपशल्य (नपुं)
सीमा. (2) - सीमा (स्त्री), सीमन् (स्त्री)
ग्रामान्तमुपशल्यं स्यात्सीमसीमे स्त्रियामुभे
2.2.20.1
गोपग्रामः. (2) - घोष (पुं), आभीरपल्ली (स्त्री)
भिल्लग्रामः. (2) - पक्कण (पुं), शबरालय (पुं)
घोष आभीरपल्ली स्यात्पक्कणः शबरालयः
2.2.20.2

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