अमरकोषसम्पद्

         

क्षत्रियवर्गः 2.8.22

पञ्च त्रिष्वषडक्षीणो यस्तृतीयाद्यगोचरः
विविक्तविजनच्छन्ननिःशलाकास्तथा रहः

अषडक्षीण (वि) = द्वाभ्यामेव कृत मन्त्रः. 2.8.22.1.1

विविक्त (वि) = विजनः. 2.8.22.2.1

विजन (वि) = विजनः. 2.8.22.2.2

छन्न (वि) = विजनः. 2.8.22.2.3

निःशलाक (वि) = विजनः. 2.8.22.2.4

रहस् (नपुं) = विजनः. 2.8.22.2.5

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