अमरकोषसम्पद्

         

क्षत्रियवर्गः 2.8.23

रहश्चोपांशु चालिङ्गे रहस्यं तद्भवे त्रिषु
समौ विस्रम्भविश्वासौ भ्रेषो भ्रंशो यथोचितात्

रहस् (अव्य) = विजनः. 2.8.23.1.1

उपांशु (अव्य) = विजनः. 2.8.23.1.2

रहस्य (वि) = रहस्यम्. 2.8.23.1.3

विस्रम्भ (पुं) = विश्वासः. 2.8.23.2.1

विश्वास (पुं) = विश्वासः. 2.8.23.2.2

भ्रेष (पुं) = भ्रंशः. 2.8.23.2.3

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