अमरकोषसम्पद्

         

क्षत्रियवर्गः 2.8.74

जय्यो यः शक्यते जेतुं जेयो जेतव्यमात्रके
जैत्रस्तु जेता यो गच्छत्यलं विद्विषतः प्रति

जय्य (पुं) = जेतुं शक्यः. 2.8.74.1.1

जेय (पुं) = जेतुं योग्यः. 2.8.74.1.2

जैत्र (पुं) = जेता. 2.8.74.2.1

जेतृ (पुं) = जेता. 2.8.74.2.2

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