अमरकोषसम्पद्

         

वैश्यवर्गः 2.9.84

संख्यार्थे द्विबहुत्वे स्तस्तासु चानवतेः स्त्रियः
पङ्क्तेः शतसहस्रादि क्रमाद्दशगुणोत्तरम्

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