अमरकोषसम्पद्

         

नानार्थवर्गः 3.3.197

भेद्यलिङ्गः शठे व्यालः पुंसि श्वापदसर्पयोः
मलोऽस्त्री पापविट्किट्टान्यस्त्री शूलं रुगायुधम्

व्याल (वि) = वक्राशयः. 3.3.197.1.1

व्याल (पुं) = सर्पः. 3.3.197.1.1

मल (पुं-नपुं) = पापम्. 3.3.197.2.1

मल (पुं-नपुं) = पुराणकिट्टम्. 3.3.197.2.1

शूल (पुं-नपुं) = रोगः. 3.3.197.2.2

शूल (पुं-नपुं) = शूलम्. 3.3.197.2.2

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