अमरकोषसम्पद्

         

स्वर् (अव्य) == स्वर्गः

स्वरव्ययं स्वर्गनाकत्रिदिवत्रिदशालयाः 
स्वर्गवर्गः 1.1.6.1.1

पर्यायपदानि
 स्वरव्ययं स्वर्गनाकत्रिदिवत्रिदशालयाः।
 सुरलोको द्योदिवौ द्वे स्त्रियां क्लीबे त्रिविष्टपम्॥

 स्वर् (अव्य)
 स्वर्ग (पुं)
 नाक (पुं)
 त्रिदिव (पुं)
 त्रिदशालय (पुं)
 सुरलोक (पुं)
 द्यो (स्त्री)
 दिव् (स्त्री)
 त्रिविष्टप (नपुं)
 +त्रिपिष्टप (नपुं)
अर्थान्तरम्
 स्वर्गे परे च लोके स्वर्वार्तासम्भाव्ययोः किल॥

 स्वर् (अव्य) - परलोकः 3.3.255.2
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