अमरकोषसम्पद्

         


Search amarakosha: अधिकाङ्ग. Page 1

1 अधिकाङ्ग (पुं)

बध्नन्ति तत्सारसनमधिकाङ्गोऽथ शीर्षकम्
क्षत्रियवर्गः 2.8.63.2.2
अर्थः - दार्ढ्यार्थं कञ्चुकोपरि बद्धः




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