अमरकोषसम्पद्

         

शब्दादिवर्गः 1.6.11

अभिशापः प्रणादस्तु शब्दः स्यादनुरागजः
यशः कीर्तिः समज्ञा च स्तवः स्तोत्रं स्तुतिर्नुतिः

अभिशाप (पुं) = सुरपानादि मिथ्या पापोद्भवनम्. 1.6.11.1.1

+शाप (पुं) = सुरपानादि मिथ्या पापोद्भवनम्. 1.6.11.1.1.2

प्रणाद (पुं) = प्रीतिविशेषजनितमुखकण्ठादिशब्दः. 1.6.11.1.2

यशस् (नपुं) = कीर्तिः. 1.6.11.2.1

कीर्ति (स्त्री) = कीर्तिः. 1.6.11.2.2

समज्ञा (स्त्री) = कीर्तिः. 1.6.11.2.3

+समाज्ञा (स्त्री) = कीर्तिः. 1.6.11.2.3.2

+समज्या (स्त्री) = कीर्तिः. 1.6.11.2.3.3

स्तव (पुं) = स्तुतिः. 1.6.11.2.4

स्तोत्र (नपुं) = स्तुतिः. 1.6.11.2.5

स्तुति (स्त्री) = स्तुतिः. 1.6.11.2.6

नुति (स्त्री) = स्तुतिः. 1.6.11.2.7

+प्रशंसा (स्त्री) = स्तुतिः. 1.6.11.2.7.2

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