अमरकोषसम्पद्

         

पुरवर्गः 2.2.17

कूटं पूर्द्वारि यद्धस्तिनखस्तस्मिन्नथ त्रिषु
कपाटमररं तुल्ये तद्विष्कम्भोऽर्गलं न ना

हस्तिनख (पुं) = नगरद्वारावतरणार्थं कृतं मृत्कूटम्. 2.2.17.1.1

कपाट (वि) = कवाटम्. 2.2.17.2.1

अरर (वि) = कवाटम्. 2.2.17.2.2

अर्गल (स्त्री-नपुं) = कवाटबन्धनकाष्ठम्. 2.2.17.2.3

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