अमरकोषसम्पद्

         

ब्रह्मवर्गः 2.7.50

प्राचीनावीतमन्यस्मिन्निवीतं कण्ठलम्बितम्
अङ्गुल्यग्रे तीर्थं दैवं स्वल्पाङ्गुल्योर्मूले कायम्

प्राचीनावीत (नपुं) = विपरीतधृतयज्ञोपवीतम्. 2.7.50.1.1

निवीत (नपुं) = कण्डलम्बितयज्ञोपवीतम्. 2.7.50.1.2

दैव (नपुं) = देवतीर्थम्. 2.7.50.2.1

काय (नपुं) = कायतीर्थम्. 2.7.50.2.2

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