अमरकोषसम्पद्

         

ब्रह्मवर्गः
वंशः. (6) - सन्तति (स्त्री), गोत्र (नपुं), जनन (नपुं), कुल (नपुं), अभिजन (पुं), अन्वय (पुं)
सन्ततिर्गोत्रजननकुलान्यभिजनान्वयौ
2.7.1.1
वंशः. (3) - वंश (पुं), अन्ववाय (पुं), सन्तान (पुं)
ब्राह्मणादिवर्णचतुष्टयवाचकः. (1) - वर्ण (पुं)
वंशोऽन्ववायः सन्तानो वर्णाः स्युर्ब्राह्मणादयः
2.7.1.2
विप्रक्षत्रियविट्शूद्राणां सामान्यनाम. (1) - चातुर्वर्ण्य (नपुं)
विप्रक्षत्रियविट्शूद्राश्चातुर्वर्ण्यमिति स्मृतम्
2.7.2.1
राजवंशोत्पन्नः. (2) - राजबीजिन् (पुं), राजवंश्य (पुं)
कुलोत्पन्नः. (2) - बीज्य (पुं), कुलसम्भव (पुं)
राजबीजी राजवंश्यो बीज्यस्तु कुलसंभवः
2.7.2.2
कुलीनः. (6) - महाकुल (पुं), कुलीन (वि), आर्य (पुं), सभ्य (पुं), सज्जन (पुं), साधु (वि)
महाकुलकुलीनार्यसभ्यसज्जनसाधवः
2.7.3.1
ब्रह्मचर्याश्रमी. (1) - ब्रह्मचारिन् (पुं)
गृहस्थाश्रमी. (1) - गृहिन् (पुं)
वानप्रस्थाश्रमी. (1) - वानप्रस्थ (पुं)
संन्यासाश्रमी. (1) - भिक्षु (पुं)
ब्रह्मचारी गृही वानप्रस्थो भिक्षुश्चतुष्टये
2.7.3.2
ब्रह्मचर्यादिचतुष्टयस्य नाम. (1) - आश्रम (पुं-नपुं)
ब्राह्मणः. (4) - द्विजाति (पुं), अग्रजन्मन् (पुं), भूदेव (पुं), वाडव (पुं)
आश्रमोऽस्त्री द्विजात्यग्रजन्मभूदेववाडवाः
2.7.4.1
ब्राह्मणः. (2) - विप्र (पुं), ब्राह्मण (पुं)
यागादिषट्कर्मयुक्तविप्रः. (1) - षट्कर्मन् (पुं)
विप्रश्च ब्राह्मणोऽसौ षट्कर्मा यागादिभिर्वृतः
2.7.4.2
विद्वान्. (7) - विद्वस् (पुं), विपश्चित् (पुं), दोषज्ञ (पुं), सत् (पुं), सुधी (पुं), कोविद (पुं), बुध (पुं)
विद्वान्विपश्चिद्दोषज्ञः सन्सुधीः कोविदो बुधः
2.7.5.1
विद्वान्. (7) - धीर (पुं), मनीषिन् (पुं), ज्ञ (पुं), प्राज्ञ (पुं), सङ्ख्यावत् (पुं), पण्डित (पुं), कवि (पुं)
धीरो मनीषी ज्ञः प्राज्ञः संख्यावान्पण्डितः कविः
2.7.5.2
विद्वान्. (6) - धीमत् (पुं), सूरिन् (पुं), कृतिन् (पुं), कृष्टि (पुं), लब्धवर्ण (पुं), विचक्षण (पुं)
धीमान्सूरिः कृती कृष्टिर्लब्धवर्णो विचक्षणः
2.7.6.1
विद्वान्. (2) - दूरदर्शिन् (पुं), दीर्घदर्शिन् (पुं)
सम्पूर्णशाखाध्यायिः. (2) - श्रोत्रिय (पुं), छान्दस (पुं)
दूरदर्शी दीर्घदर्शी श्रोत्रियच्छान्दसौ समौ
2.7.6.2
मीमांसाशास्त्रवेत्ता. (2) - मीमांसक (वि), जैमिनीय (पुं)
वेदान्तशास्त्रज्ञः. (2) - वेदान्तिन् (पुं), ब्रह्मवादिन् (पुं)
मीमांसको जैमिनीये वेदान्ती ब्रह्मवादिनि
2.7.6.3
सप्तपदार्थवादिनः. (2) - वैशेषिक (पुं), औलूक्य (पुं)
शून्यमतावलम्बी नास्तिकः. (2) - सौगत (पुं), शून्यवादिन् (पुं)
वैशेषिके स्यादौलूक्यः सौगतः शून्यवादिनि
2.7.6.4
न्यायशास्त्रज्ञः. (2) - नैयायिक (पुं), अक्षपाद (पुं)
स्याद्वादिः. (2) - स्याद्वादिन् (पुं), आर्हक (पुं)
नैयायिकस्त्वक्षपादः स्यात्स्याद्वादिक आर्हकः
2.7.6.5
देहात्मवादिनश्चार्वाकः. (2) - चार्वाक (पुं), लौकायतिक (पुं)
साङ्ख्यशास्त्रज्ञः. (2) - साङ्ख्य (पुं), कापिल (पुं)
चार्वाकलौकायतिकौ सत्कार्ये सांख्यकापिलौ
2.7.6.6
अध्यापकः. (2) - उपाध्याय (पुं), अध्यापक (पुं)
संस्कारादिकर्तुर्गुरुः. (1) - गुरु (पुं)
उपाध्यायोऽध्यापकोऽथ स्यान्निषेकादिकृद्गुरुः
2.7.7.1
मन्त्रव्याख्याकर्ता. (2) - मन्त्रव्याख्याकृत् (पुं), आचार्य (पुं)
यागे यजमानः. (1) - व्रतिन् (पुं)
मन्त्रव्याख्याकृदाचार्य आदेष्टा त्वध्वरे व्रती
2.7.7.2
यागे यजमानः. (2) - यष्टृ (पुं), यजमान (पुं)
सोमयाजिः. (1) - दीक्षित (पुं)
यष्टा च यजमानश्च स सोमवति दीक्षितः
2.7.8.1
यजनशीलः. (2) - इज्याशील (पुं), यायजूक (पुं)
विधिवद् होता. (1) - यज्वन् (पुं)
इज्याशीलो यायजूको यज्वा तु विधिनेष्टवान्
2.7.8.2
बृहस्पतियागकर्ता. (1) - स्थपति (पुं)
सोमयाजिः. (2) - सोमपीथिन् (पुं), सोमप (पुं)
स गीर्पतीष्ट्या स्थपतिः सोमपीथी तु सोमपाः
2.7.9.1
विश्वजिदादियज्ञकर्ता. (1) - सर्ववेदस् (पुं)
सर्ववेदाः स येनेष्टो यागः सर्वस्वदक्षिणः
2.7.9.2
साङ्गवेदाध्येता. (1) - अनूचान (पुं)
अनूचानः प्रवचने साङ्गेऽधीती गुरोस्तु यः
2.7.10.1
गुरुकुलवासान्निवृत्तः. (1) - समावृत्त (पुं)
अवभृतस्नातकः. (1) - सुत्वन् (पुं)
लब्धानुज्ञः समावृत्तः सुत्वा त्वभिषवे कृते
2.7.10.2
शिष्यः. (3) - छात्र (पुं), अन्तेवासिन् (पुं), शिष्य (पुं)
प्रथमारब्धवेदाः. (2) - शैक्ष (पुं), प्राथमकल्पिक (पुं)
छात्रान्तेवासिनौ शिष्ये शैक्षाः प्राथमकल्पिकाः
2.7.11.1
समशाखाध्येता. (1) - सब्रह्मचारिन् (पुं)
एकब्रह्मव्रताचारा मिथः सब्रह्मचारिणः
2.7.11.2
सहाध्यायी. (2) - सतीर्थ्य (पुं), एकगुरु (पुं)
अग्न्युपासकः. (1) - अग्निचित् (पुं)
सतीर्थ्यास्त्वेकगुरवश्चितवानग्निमग्निचित्
2.7.12.1
परम्परोपदेशः. (2) - ऐतिह्य (नपुं), इतिह (अव्य)
पारम्पर्योपदेशे स्यादैतिह्यमितिहाव्ययम्
2.7.12.2
आद्यज्ञानम्. (1) - उपज्ञा (स्त्री)
ज्ञात्वा प्रथमारम्भः. (1) - उपक्रम (पुं)
उपज्ञा ज्ञानमाद्यं स्याज्ज्ञात्वारम्भ उपक्रमः
2.7.13.1
यज्ञः. (7) - यज्ञ (पुं), सव (पुं), अध्वर (पुं), याग (पुं), सप्ततन्तु (पुं), मख (पुं), क्रतु (पुं)
यज्ञः सवोऽध्वरो यागः सप्ततन्तुर्मखः क्रतुः
2.7.13.2
ब्रह्मयज्ञः. (1) - पाठ (पुं)
देवयज्ञः. (1) - होम (पुं)
मनुष्ययज्ञः. (1) - अतिथीनां सपर्या (स्त्री)
पितृयज्ञः. (1) - तर्पण (नपुं)
भूतयज्ञः. (1) - बलि (पुं)
पाठो होमश्चातिथीनां सपर्या तर्पणं बलिः
2.7.14.1
पाठादयः. (1) - पञ्चमहायज्ञ (पुं)
एते पञ्चमहायज्ञा ब्रह्मयज्ञादिनामकाः
2.7.14.2
सभा. (6) - समज्या (स्त्री), परिषद् (स्त्री), गोष्ठी (स्त्री), सभा (स्त्री), समिति (स्त्री), संसद् (स्त्री)
समज्या परिषद्गोष्ठी सभासमितिसंसदः
2.7.15.1
सभा. (3) - आस्थानी (स्त्री), आस्थान (नपुं), सदस् (स्त्री-नपुं)
आस्थानी क्लीबमास्थानं स्त्रीनपुंसकयोः सदः
2.7.15.2
हविर्गेहपूर्वभागे निर्मितप्रकोष्टः. (1) - प्राग्वंश (पुं)
विधिदर्शिनः. (1) - सदस्य (पुं)
प्राग्वंशः प्राग्हविर्गेहात्सदस्या विधिदर्शिनः
2.7.16.1
सामाजिकाः. (4) - सभासद् (पुं), सभास्तार (पुं), सभ्य (पुं), सामाजिक (पुं)
सभासदः सभास्ताराः सभ्याः सामाजिकाश्च ते
2.7.16.2
यजुर्वेदकर्मकर्ता. (1) - अध्वर्यु (पुं)
सामवेदकर्मकर्ता. (1) - उद्गातृ (पुं)
ऋग्वेदकर्मकर्ता. (1) - होतृ (पुं)
अध्वर्यूद्गातृहोतारो यजुःसामर्ग्विदः क्रमात्
2.7.17.1
ऋत्विक्. (2) - ऋत्विज् (पुं), याजक (पुं)
आग्नीध्राद्या धनैर्वार्या ऋत्विजो याजकाश्च ते
2.7.17.2
यज्ञवेदिः. (1) - वेदि (पुं)
यागार्थं संस्कृतभूमिः. (2) - स्थण्डिल (नपुं), चत्वर (नपुं)
वेदिः परिष्कृता भुमिः समे स्थण्डिलचत्वरे
2.7.18.1
यूपकटकः. (2) - चषाल (पुं), यूपकटक (पुं)
यज्ञशालापरितनिबिडवेष्टनम्. (1) - कुम्बा (स्त्री)
चषालो यूपकटकः कुम्बा सुगहना वृतिः
2.7.18.2
यूपाग्रम्. (2) - यूपाग्र (नपुं), तर्मन् (नपुं)
अरणिः. (1) - अरणि (स्त्री-पुं)
यूपाग्रं तर्म निर्मन्थ्यदारुणि त्वरणिर्द्वयोः
2.7.19.1
यागवेदिकायाम् दक्षिणभागे स्थिताग्निः. (1) - दक्षिणाग्नि (पुं)
गार्हपत्याग्निः. (1) - गार्हपत्य (पुं)
आहवनीयाग्निः. (1) - आहवनीय (पुं)
दक्षिणाग्निर्गार्हपत्याहवनीयौ त्रयोऽग्नयः
2.7.19.2
दक्षिणगार्हपत्याहवनीयाग्नयः. (1) - त्रेता (स्त्री)
संस्कृताग्निः. (1) - प्रणीत (पुं)
अग्नित्रयमिदं त्रेता प्रणीतः संस्कृतोऽनलः
2.7.20.1
अग्निनाम. (3) - समूह्य (पुं), परिचाय्य (पुं), उपचाय्य (पुं)
समूह्यः परिचाय्योपचाय्यावग्नौ प्रयोगिणः
2.7.20.2
यो गार्हपत्यादानीय दक्षिणाग्निः प्रणीयते
2.7.21.1
दक्षिणाग्नित्वेन संस्कृत गार्हपत्याग्निः. (1) - आनाय्य (पुं)
अग्नेः प्रिया. (3) - आग्नायी (स्त्री), स्वाहा (स्त्री), हुतभुक्प्रिया (स्त्री)
तस्मिन्नानाय्योऽथाग्नायी स्वाहा च हुतभुक्प्रिया
2.7.21.2
अग्निसमिन्धने प्रयुक्ता ऋक्. (2) - सामिधेनी (स्त्री), धाय्या (स्त्री)
ऋक्सामिधेनी धाय्या च या स्यादग्निसमिन्धने
2.7.22.1
गायत्रीच्छन्दः. (1) - गायत्री (स्त्री)
हव्यपाकः. (1) - चरु (पुं)
गायत्रीप्रमुखं छन्दो हव्यपाके चरुः पुमान्
2.7.22.2
पक्वक्षीरे दधियोजना. (1) - आमिक्षा (स्त्री)
आमिक्षा सा शृतोष्णे या क्षीरे स्याद्दधियोगतः
2.7.23.1
अग्निसंरक्षणाय रचितमृगत्वचव्यजनम्. (1) - धवित्र (नपुं)
धवित्रं व्यजनं तद्यद्रचितं मृगचर्मणा
2.7.23.2
दधिमिशृतघृतम्. (1) - पृषदाज्य (नपुं)
क्षीरान्नम्. (2) - परमान्न (नपुं), पायस (पुं-नपुं)
पृषदाज्यं सदध्याज्ये परमान्नं तु पायसम्
2.7.24.1
देवान्नम्. (1) - हव्य (नपुं)
पित्रन्नम्. (1) - कव्य (नपुं)
स्रुवादियज्ञपात्राणि. (1) - पात्र (नपुं)
हव्यकव्ये दैवपित्र्ये अन्ने पात्रं स्रुवादिकम्
2.7.24.2
यज्ञपात्रम्. (5) - ध्रुवा (स्त्री), उपभृत् (स्त्री), जहू (स्त्री), स्रुव (पुं), स्रुच् (स्त्री)
ध्रुवोपभृज्जुहूर्ना तु स्रुवो भेदाः स्रुचः स्त्रियः
2.7.25.1
क्रतावभिमन्त्रितपशुः. (1) - उपाकृत (पुं)
उपाकृतः पशुरसौ योऽभिमन्त्र्य क्रतौ हतः
2.7.25.2
यज्ञार्थं पशुहननम्. (3) - परम्पराक (नपुं), शमन (पुं), प्रोक्षण (नपुं)
परम्पराकं शमनं प्रोक्षणं च वधार्थकम्
2.7.26.1
यज्ञहतपशुः. (3) - प्रमीत (वि), उपसम्पन्न (वि), प्रोक्षित (वि)
वाच्यलिङ्गाः प्रमीतोपसम्पन्नप्रोक्षिता हते
2.7.26.2
हविः. (2) - सांनाय्य (नपुं), हविस् (नपुं)
अग्नावर्पितम्. (2) - हुत (वि), वषट्कृत (वि)
सान्नाय्यं हविरग्नौ तु हुतं त्रिषु वषट्कृतम्
2.7.27.1
अवभृतस्नानम्. (1) - अवभृथ (पुं)
क्रतुद्रव्यादिः. (1) - यज्ञिय (वि)
दीक्षान्तोऽवभृथो यज्ञे तत्कर्मार्हं तु यज्ञियम्
2.7.27.2
यज्ञकर्मः. (1) - इष्ट (नपुं)
पूर्तकर्मः. (1) - पूर्त (नपुं)
त्रिष्वथ क्रतुकर्मेष्टं पूर्तं खातादि कर्म यत्
2.7.28.1
यज्ञशेषः. (1) - अमृत (नपुं)
भोजनशेषः. (1) - विघस (पुं)
अमृतं विघसो यज्ञशेषभोजनशेषयोः
2.7.28.2
दानम्. (5) - त्याग (पुं), विहापित (नपुं), दान (नपुं), उत्सर्जन (नपुं), विसर्जन (नपुं)
त्यागो विहापितं दानमुत्सर्जनविसर्जने
2.7.29.1
दानम्. (4) - विश्राणन (नपुं), वितरण (नपुं), स्पर्शन (नपुं), प्रतिपादन (नपुं)
विश्राणनं वितरणं स्पर्शनं प्रतिपादनम्
2.7.29.2
दानम्. (4) - प्रादेशन (नपुं), निर्वपण (नपुं), अपवर्जन (नपुं), अंहति (स्त्री)
प्रादेशनं निर्वपणमपवर्जनमंहतिः
2.7.30.1
मृताहे दानम्. (1) - और्ध्वदेहिक (वि)
मृतार्थं तदहे दानं त्रिषु स्यादौर्ध्वदेहिकम्
2.7.30.2
पितॄनुद्धिश्यक्रियमाणः दानम्. (2) - पितृदान (नपुं), निवाप (पुं)
श्राद्धकर्मः. (1) - श्राद्ध (नपुं)
पितृदानं निवापः स्याच्छ्राद्धं तत्कर्म शास्त्रतः
2.7.31.1
अमावास्याश्राद्धम्. (1) - अन्वाहार्य (नपुं)
अह्नो़ष्टमभागः. (1) - कुतप (पुं-नपुं)
अन्वाहार्यं मासिकेंऽशोऽष्टमोऽह्नः कुतपोऽस्त्रियाम्
2.7.31.2
धर्माद्यन्वेषणम्. (4) - पर्येषणा (स्त्री), परीष्टि (स्त्री), अन्वेषणा (स्त्री), गवेषणा (स्त्री)
पर्येषणा परीष्टिश्चान्वेषणा च गवेषणा
2.7.32.1
गुर्वाद्यारादनम्. (2) - सनि (स्त्री), अध्येषणा (स्त्री)
याचनम्. (4) - याञ्चा (स्त्री), अभिशस्ति (स्त्री), याचना (स्त्री), अर्थना (स्त्री)
सनिस्त्वध्येषणा याच्ञाभिशस्तिर्याचनार्थना
2.7.32.2
अर्घ्यार्थजलम्. (1) - अर्घ्य (वि)
पाद्यजलम्. (1) - पाद्य (वि)
षट्तु त्रिष्वर्घ्यमर्घार्थे पाद्यं पादाय वारिणि
2.7.33.1
आतिथ्यर्थः. (1) - आतिथ्य (वि)
क्रमादातिथ्यातिथेये अतिथ्यर्थेऽत्र साधुनि
2.7.33.2
अतिथिः. (3) - आवेशिक (वि), आगन्तु (वि), अतिथि (पुं)
स्युरावेशिक आगन्तुरतिथिर्ना गृहागते
2.7.34.1
अभ्यागतः. (2) - प्राघूर्णिक (पुं), प्राघूणक (पुं)
उत्थानपूर्वकसत्कारः. (2) - अभ्युत्थान (नपुं), गौरव (नपुं)
प्राघूर्णिकः प्राघूणकश्चाभ्युत्थानं तु गौरवम्
2.7.34.2
पूजा. (6) - पूजा (स्त्री), नमस्या (स्त्री), अपचिति (स्त्री), सपर्या (स्त्री), अर्चा (स्त्री), अर्हणा (स्त्री)
पूजा नमस्यापचितिः सपर्यार्चार्हणाः समाः
2.7.34.3
उपासनम्. (4) - वरिवस्या (स्त्री), शुश्रूषा (स्त्री), परिचर्या (स्त्री), उपासना (स्त्री-नपुं)
वरिवस्या तु शुश्रूषा परिचर्याप्युपासना
2.7.35.1
अटनम्. (3) - व्रज्या (स्त्री), अटाट्या (स्त्री), पर्यटन (नपुं)
योगमार्गे स्थितः. (1) - चर्या (स्त्री)
व्रज्याटाट्या पर्यटनं चर्या त्वीर्यापथे स्थितिः
2.7.35.2
आचमनम्. (2) - उपस्पर्श (पुं), आचमन (नपुं)
मौनम्. (2) - मौन (नपुं), अभाषण (नपुं)
उपस्पर्शस्त्वाचमनमथ मौनमभाषणम्
2.7.36.1
वाल्मीकिः. (3) - प्राचेतस् (पुं), आदिकवि (पुं), मैत्रावरुणि (पुं)
प्राचेतसश्चादिकविः स्यान्मैत्रावरुणिश्च सः
2.7.36.2
वाल्मीकिः. (1) - वाल्मीकि (पुं)
विश्वामित्रः. (3) - गाधेय (पुं), विश्वामित्र (पुं), कौशिक (पुं)
वाल्मीकिश्चाथ गाधेयो विश्वामित्रश्च कौशिकः
2.7.36.3
व्यासः. (4) - व्यास (पुं), द्वैपायन (पुं), पाराशर्य (पुं), सत्यवतीसुत (पुं)
व्यासो द्वैपायनः पाराशर्यः सत्यवतीसुतः
2.7.36.4
क्रमः. (4) - आनुपूर्वी (स्त्री), आवृत्त (वि), परिपाटी (स्त्री), अनुक्रम (पुं)
आनुपूर्वी स्त्रियां वावृत्परिपाटी अनुक्रमः
2.7.36.5
क्रमः. (1) - पर्याय (पुं)
क्रमोल्लङ्घनम्. (3) - अतिपात (पुं), पर्यय (पुं), उपात्यय (पुं)
पर्यायश्चातिपातस्तु स्यात्पर्यय उपात्ययः
2.7.37.1
व्रतम्. (2) - नियम (पुं), व्रत (पुं-नपुं)
उपवासादिव्रतम्. (1) - पुण्यक (नपुं)
नियमो व्रतमस्त्री तच्चोपवासादि पुण्यकम्
2.7.37.2
उपवासः. (2) - औपवस्त (नपुं), उपवास (पुं)
प्रकृतिपुरुषभेदज्ञानम्. (2) - विवेक (पुं), पृथगात्मता (स्त्री)
औपवस्तं तूपवासो विवेकः पृथगात्मता
2.7.38.1
ब्रह्मवर्चसम्. (2) - ब्रह्मवर्चस (नपुं), वृत्ताध्ययनर्द्धि (स्त्री)
स्याद्ब्रह्मवर्चसं वृत्ताध्ययनर्द्धिरथाञ्जलिः
2.7.38.2
वेदपाठकाले कृताञ्जलिः. (1) - ब्रह्माञ्जलि (पुं)
मुखनिर्गतबिन्धुः. (1) - ब्रह्मबिन्दु (पुं)
पाठे ब्रह्माञ्जलिः पाठे विप्रुषो ब्रह्मबिन्दवः
2.7.39.1
ध्यानयोगासनम्. (1) - ब्रह्मासन (नपुं)
विधानशास्त्रम्. (3) - कल्प (पुं), विधि (पुं), क्रम (पुं)
ध्यानयोगासने ब्रह्मासनं कल्पे विधिक्रमौ
2.7.39.2
आद्यविधिः. (1) - मुख्य (पुं)
गौणविधिः. (1) - अनुकल्प (पुं)
मुख्यः स्यात्प्रथमः कल्पोऽनुकल्पस्तु ततोऽधमः
2.7.40.1
वेदपाठारम्भविधिः. (1) - उपाकरण (नपुं)
संस्कारपूर्वं ग्रहणं स्यादुपाकरणं श्रुतेः
2.7.40.2
अभिवादनम्. (2) - पादग्रहण (नपुं), अभिवादन (नपुं)
समे तु पादग्रहणमभिवादनमित्युभे
2.7.41.1
संन्यासी. (5) - भिक्षु (पुं), परिव्राज् (पुं), कर्मन्दिन् (पुं), पाराशरिन् (पुं), मस्करिन् (पुं)
भिक्षुः परिव्राट्कर्मन्दी पाराशर्यपि मस्करी
2.7.41.2
तपस्वी. (3) - तपस्विन् (पुं), तापस (पुं), पारिकाङ्क्षिन् (पुं)
मौनव्रतिः. (2) - वाचंयम (पुं), मुनि (पुं)
तपस्वी तापसः पारिकाङ्क्षी वाचंयमो मुनिः
2.7.42.1
तपःक्लेशसहः. (2) - तपःक्लेशसह (वि), दान्त (पुं)
ब्रह्मचारिः. (2) - वर्णिन् (पुं), ब्रह्मचारिन् (पुं)
तपःक्लेशसहो दान्तो वर्णिनो ब्रह्मचारिणः
2.7.42.2
ऋषिः. (2) - ऋषि (पुं), सत्यवाक् (पुं)
समाप्तवेदाध्ययनाश्रमान्तरागतः. (2) - स्नातक (पुं), आप्लुतव्रती (पुं)
ऋषयः सत्यवचसः स्नातकस्त्वाप्लुतो व्रती
2.7.43.1
निर्जितेन्द्रिययतिः. (2) - यतिन् (पुं), यति (पुं)
ये निर्जितेन्द्रियग्रामा यतिनो यतयश्च ते
2.7.43.2
भूमिशायीव्रतिः. (1) - स्थण्डिलशायिन् (पुं)
यः स्थण्डिले व्रतवशाच्छेते स्थण्डिलशाय्यसौ
2.7.44.1
भूमिशायीव्रतिः. (1) - स्थाण्डिल (पुं)
निवृत्तरजस्तमोगुणाः. (2) - विरजस्तमस् (पुं), द्वयातिग (पुं)
स्थाण्डिलश्चाथ विरजस्तमसः स्युर्द्वयातिगाः
2.7.44.2
पवित्रः. (3) - पवित्र (पुं), प्रयत (पुं), पूत (पुं)
दुःशास्त्रवर्तिः. (2) - पाषण्ड (पुं), सर्वलिङ्गिन् (पुं)
पवित्रः प्रयतः पूतः पाषण्डाः सर्वलिङ्गिनः
2.7.45.1
पलाशदण्डः. (1) - आषाढ (पुं)
वैष्णवदण्डः. (2) - राम्भ (पुं), वैणव (पुं)
पालाशो दण्ड आषाढो व्रते राम्भस्तु वैणवः
2.7.45.2
कमण्डलुः. (2) - कमण्डलु (पुं-नपुं), कुण्डी (स्त्री)
व्रतीनामासनम्. (1) - वृषी (स्त्री)
अस्त्री कमण्डलुः कुण्डी व्रतिनामासनं वृषी
2.7.46.1
मृगचर्मः. (3) - अजिन (नपुं), चर्मन् (नपुं), कृत्ति (स्त्री)
भिक्षाद्रव्यम्. (1) - भैक्ष (नपुं)
अजिनं चर्म कृत्तिः स्त्री भैक्षं भिक्षाकदम्बकम्
2.7.46.2
वेदाध्ययनम्. (2) - स्वाध्याय (पुं), जप (पुं)
सोमलताकण्डनम्. (3) - सुत्या (स्त्री), अभिषव (पुं), सवन (नपुं)
स्वाध्यायः स्याज्जपः सुत्याभिषवः सवनं च सा
2.7.47.1
अघमर्षणमन्त्रः. (1) - अघमर्षण (वि)
सर्वैनसामपध्वंसि जप्यं त्रिष्वघमर्षणम्
2.7.47.2
दर्शयागः. (1) - दर्श (पुं)
पौर्णमासयागः. (1) - पौर्णमास (पुं)
दर्शश्च पौर्णमासश्च यागौ पक्षान्तयोः पृथक्
2.7.48.1
नैत्यिककर्मः. (1) - यम (पुं)
शरीरसाधनापेक्षं नित्यं यत्कर्म तद्यमः
2.7.48.2
नियमकर्मः. (1) - नियम (पुं)
नियमस्तु स तत्कर्म नित्यमागन्तुसाधनम्
2.7.49.1
मुण्डनम्. (4) - क्षौर (नपुं), भद्राकरण (नपुं), मुण्डन (नपुं), वपन (वि)
क्षौरम्तु भद्राकरणं मुण्डनं वपनं त्रिषु
2.7.49.2
यज्ञोपवीतम्. (2) - उपवीत (नपुं), यज्ञसूत्र (नपुं)
उपवीतं ब्रह्मसूत्रं प्रोद्धृते दक्षिणे करे
2.7.49.3
विपरीतधृतयज्ञोपवीतम्. (1) - प्राचीनावीत (नपुं)
कण्डलम्बितयज्ञोपवीतम्. (1) - निवीत (नपुं)
प्राचीनावीतमन्यस्मिन्निवीतं कण्ठलम्बितम्
2.7.50.1
देवतीर्थम्. (1) - दैव (नपुं)
कायतीर्थम्. (1) - काय (नपुं)
अङ्गुल्यग्रे तीर्थं दैवं स्वल्पाङ्गुल्योर्मूले कायम्
2.7.50.2
पितृतीर्थम्. (1) - पित्र्य (नपुं)
ब्राह्मतीर्थम्. (1) - ब्राह्म (नपुं)
मध्येऽङ्गुष्ठाङ्गुल्योः पित्र्यं मूले त्वङ्गुष्ठस्य ब्राह्मम्
2.7.51.1
ब्रह्मभावः. (3) - ब्रह्मभूय (नपुं), ब्रह्मत्व (नपुं), ब्रह्मसायुज्य (नपुं)
स्याद्ब्रह्मभूयं ब्रह्मत्वं ब्रह्मसायुज्यमित्यपि
2.7.51.2
देवसायुज्यम्. (1) - देवभूय (नपुं)
प्रायश्चित्तकर्मम्. (1) - कृच्छ्र (नपुं)
देवभूयादिकं तद्वत्कृच्छ्रं सान्तपनादिकम्
2.7.52.1
प्रायोपवेशः. (1) - प्राय (पुं)
उपासनाग्निनष्टः. (1) - वीरहन् (पुं)
संन्यासवत्यनशने पुमान्प्रायोऽथ वीरहा
2.7.52.2
उपासनाग्निनष्टः. (1) - नष्टाग्नि (पुं)
दम्भेनकृतमौनादिः. (1) - कुहना (स्त्री)
नष्टाग्निः कुहना लोभान्मिथ्येर्यापथकल्पना
2.7.53.1
संस्कारहीनः. (2) - व्रात्य (पुं), संस्कारहीन (पुं)
वेदाध्ययनरहितः. (2) - अस्वाध्याय (पुं), निराकृति (पुं)
व्रात्यः संस्कारहीनः स्यादस्वाध्यायो निराकृतिः
2.7.53.2
कपटजटाधारिः. (2) - धर्मध्वजिन् (पुं), लिङ्गवृत्ति (पुं)
खण्डितब्रह्मचर्यः. (2) - अवकीर्णिन् (पुं), क्षतव्रत (पुं)
धर्मध्वजी लिङ्गवृत्तिरवकीर्णी क्षतव्रतः
2.7.54.1
सुप्ते यस्मिन्नस्तमेति सुप्ते यस्मिन्नुदेति च
2.7.54.2
सूर्यास्तेसुप्तः. (1) - अभिनिर्मुक्त (पुं)
सूर्योदयेसुप्तः. (1) - अभ्युदित (पुं)
अंशुमानभिनिर्मुक्ताभ्युदितौ च यथाक्रमम्
2.7.55.1
ज्येष्ठे़नूढे कृतदारपरिग्रहः. (1) - परिवेतृ (पुं)
परिवेत्तानुजोऽनूढे ज्येष्ठे दारपरिग्रहात्
2.7.55.2
परिवेत्तुर्ज्येष्ठभ्राता. (1) - परिवित्ति (पुं)
विवाहः. (2) - विवाह (पुं), उपयम (पुं)
परिवित्तिस्तु तज्ज्यायान्विवाहोपयमौ समौ
2.7.56.1
विवाहः. (4) - परिणय (पुं), उद्वाह (पुं), उपयाम (पुं), पाणिपीडन (नपुं)
तथा परिणयोद्वाहोपयामाः पाणिपीडनम्
2.7.56.2
मैथुनम्. (5) - व्यवाय (पुं), ग्राम्यधर्म (पुं), मैथुन (नपुं), निधुवन (नपुं), रत (नपुं)
व्यवायो ग्राम्यधर्मो मैथुनं निधुवनं रतम्
2.7.57.1
धर्मकामार्थत्रिवर्गः. (1) - त्रिवर्ग (पुं)
धर्मार्थकाममोक्षचतुर्वर्गः. (1) - चतुर्वर्ग (पुं)
त्रिवर्गो धर्मकामार्थैश्चतुर्वर्गः समोक्षकैः
2.7.57.2
सबलचतुर्वर्गः. (1) - चतुर्भद्र (नपुं)
वरपक्षीयः. (1) - जन्य (पुं)
सबलैस्तैश्चतुर्भद्रं जन्याः स्निग्धा वरस्य ये
2.7.58.1

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