अमरकोषसम्पद्

         

ब्रह्मवर्गः 2.7.52

देवभूयादिकं तद्वत्कृच्छ्रं सान्तपनादिकम्
संन्यासवत्यनशने पुमान्प्रायोऽथ वीरहा

देवभूय (नपुं) = देवसायुज्यम्. 2.7.52.1.1

कृच्छ्र (नपुं) = प्रायश्चित्तकर्मम्. 2.7.52.1.2

प्राय (पुं) = प्रायोपवेशः. 2.7.52.2.1

वीरहन् (पुं) = उपासनाग्निनष्टः. 2.7.52.2.2

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