अमरकोषसम्पद्

         

ब्रह्मवर्गः 2.7.27

सान्नाय्यं हविरग्नौ तु हुतं त्रिषु वषट्कृतम्
दीक्षान्तोऽवभृथो यज्ञे तत्कर्मार्हं तु यज्ञियम्

सांनाय्य (नपुं) = हविः. 2.7.27.1.1

हविस् (नपुं) = हविः. 2.7.27.1.2

हुत (वि) = अग्नावर्पितम्. 2.7.27.1.3

वषट्कृत (वि) = अग्नावर्पितम्. 2.7.27.1.4

अवभृथ (पुं) = अवभृतस्नानम्. 2.7.27.2.1

यज्ञिय (वि) = क्रतुद्रव्यादिः. 2.7.27.2.2

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