अमरकोषसम्पद्

         

नानार्थवर्गः 3.3.12

शालावृकाः कपिक्रोष्टुश्वानः स्वर्णेऽपि गैरिकम्
पीडार्थेऽपि व्यलीकं स्यादलीकं त्वप्रियेऽनृते

शालावृक (पुं) = वानरः. 3.3.12.1.1

शालावृक (पुं) = जम्भूकः. 3.3.12.1.1

शालावृक (पुं) = शुनकः. 3.3.12.1.1

गैरिक (नपुं) = सुवर्णम्. 3.3.12.1.2

व्यलीक (नपुं) = दुःखम्. 3.3.12.2.1

अलीक (नपुं) = असत्यवचनम्. 3.3.12.2.2

अलीक (नपुं) = अप्रियम्. 3.3.12.2.2

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