अमरकोषसम्पद्

         

नानार्थवर्गः 3.3.258

अहहेत्यद्भुते खेदे हि हेताववधारणे

अहह (अव्य) = अद्भुतरसः. 3.3.258.1.1

अहह (अव्य) = दुःखम्. 3.3.258.1.1

हि (अव्य) = अवधारणम्. 3.3.258.1.2

हि (अव्य) = कारणम्. 3.3.258.1.2

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