अमरकोषसम्पद्

         

कल्क (पुं-नपुं) == कपटः

दीनारेऽपि च निष्कोऽस्त्री कल्कोऽस्त्री शमलैनसोः 
नानार्थवर्गः 3.3.14.1.2

पर्यायपदानि
 दीनारेऽपि च निष्कोऽस्त्री कल्कोऽस्त्री शमलैनसोः।
 गुहादम्भौ गह्वरे द्वे रहोऽन्तिकमुपह्वरे॥
 अविश्वासेऽपह्नवेऽपि निकृतावपि निह्नवः।
 अयोघने शैलशृङ्गे सीराङ्गे कूटमस्त्रियाम्।

 कल्क (पुं-नपुं)
 कूट (पुं-नपुं)
 गह्वर (नपुं)
 निह्नव (पुं)
अर्थान्तरम्
 दीनारेऽपि च निष्कोऽस्त्री कल्कोऽस्त्री शमलैनसोः।

 कल्क (पुं-नपुं) - पापम् 3.3.14.1
 कल्क (पुं-नपुं) - मलम् 3.3.14.1
कल्क (पुं-नपुं) == पापम्

दीनारेऽपि च निष्कोऽस्त्री कल्कोऽस्त्री शमलैनसोः 
नानार्थवर्गः 3.3.14.1.2

पर्यायपदानि
 दीनारेऽपि च निष्कोऽस्त्री कल्कोऽस्त्री शमलैनसोः।
 गुहादम्भौ गह्वरे द्वे रहोऽन्तिकमुपह्वरे॥
 अविश्वासेऽपह्नवेऽपि निकृतावपि निह्नवः।
 अयोघने शैलशृङ्गे सीराङ्गे कूटमस्त्रियाम्।

 कल्क (पुं-नपुं)
 कूट (पुं-नपुं)
 गह्वर (नपुं)
 निह्नव (पुं)
अर्थान्तरम्
 दीनारेऽपि च निष्कोऽस्त्री कल्कोऽस्त्री शमलैनसोः।

 कल्क (पुं-नपुं) - पापम् 3.3.14.1
 कल्क (पुं-नपुं) - मलम् 3.3.14.1
कल्क (पुं-नपुं) == मलम्

दीनारेऽपि च निष्कोऽस्त्री कल्कोऽस्त्री शमलैनसोः 
नानार्थवर्गः 3.3.14.1.2

पर्यायपदानि
 दीनारेऽपि च निष्कोऽस्त्री कल्कोऽस्त्री शमलैनसोः।
 गुहादम्भौ गह्वरे द्वे रहोऽन्तिकमुपह्वरे॥
 अविश्वासेऽपह्नवेऽपि निकृतावपि निह्नवः।
 अयोघने शैलशृङ्गे सीराङ्गे कूटमस्त्रियाम्।

 कल्क (पुं-नपुं)
 कूट (पुं-नपुं)
 गह्वर (नपुं)
 निह्नव (पुं)
अर्थान्तरम्
 दीनारेऽपि च निष्कोऽस्त्री कल्कोऽस्त्री शमलैनसोः।

 कल्क (पुं-नपुं) - पापम् 3.3.14.1
 कल्क (पुं-नपुं) - मलम् 3.3.14.1
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