अमरकोषसम्पद्

         

ब्रह्मवर्गः 2.7.26

परम्पराकं शमनं प्रोक्षणं च वधार्थकम्
वाच्यलिङ्गाः प्रमीतोपसम्पन्नप्रोक्षिता हते

परम्पराक (नपुं) = यज्ञार्थं पशुहननम्. 2.7.26.1.1

शमन (पुं) = यज्ञार्थं पशुहननम्. 2.7.26.1.2

प्रोक्षण (नपुं) = यज्ञार्थं पशुहननम्. 2.7.26.1.3

प्रमीत (वि) = यज्ञहतपशुः. 2.7.26.2.1

उपसम्पन्न (वि) = यज्ञहतपशुः. 2.7.26.2.2

प्रोक्षित (वि) = यज्ञहतपशुः. 2.7.26.2.3

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