अमरकोषसम्पद्

         

मध्य (वि) == न्याय्यम्

न्याय्येऽपि मध्यं सौम्यं तु सुन्दरे सोमदैवते 
नानार्थवर्गः 3.3.161.2.1

पर्यायपदानि
 न्याय्येऽपि मध्यं सौम्यं तु सुन्दरे सोमदैवते॥
 सारो बले स्थिरांशे च न्याय्ये क्लीबं वरे त्रिषु॥

 मध्य (वि)
 सार (नपुं)
अर्थान्तरम्
 मध्यमं चावलग्नं च मध्योऽस्त्री द्वौ परौ द्वयोः॥

 मध्य (पुं-नपुं) - देहमध्यः 2.6.79.2
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