अमरकोषसम्पद्

         

मनुष्यवर्गः
मनुष्यः. (6) - मनुष्य (पुं), मानुष (पुं), मर्त्य (पुं), मनुज (पुं), मानव (पुं), नर (पुं)
मनुष्या मानुषा मर्त्या मनुजा मानवा नराः
2.6.1.1
पुरुषः. (5) - पुमाम्स (पुं), पञ्चजन (पुं), पुरुष (पुं), पूरुष (पुं), नर (पुं)
स्युः पुमांसः पञ्चजनाः पुरुषाः पूरुषा नरः
2.6.1.2
स्त्री. (7) - स्त्री (स्त्री), योषित् (स्त्री), अबला (स्त्री), योषा (स्त्री), नारी (स्त्री), सीमन्तिनी (स्त्री), वधू (स्त्री)
स्त्री योषिदबला योषा नारी सीमन्तिनी वधूः
2.6.2.1
स्त्री. (4) - प्रतीपदर्शिनी (स्त्री), वामा (स्त्री), वनिता (स्त्री), महिला (स्त्री)
प्रतीपदर्शिनी वामा वनिता महिला तथा
2.6.2.2
स्त्रीविशेषः. (4) - अङ्गना (स्त्री), भीरु (स्त्री), कामिनी (स्त्री), वामलोचना (स्त्री)
विशेषास्त्वङ्गना भीरुः कामिनी वामलोचना
2.6.3.1
स्त्रीविशेषः. (5) - प्रमदा (स्त्री), मानिनी (स्त्री), कान्ता (स्त्री), ललना (स्त्री), नितम्बिनी (स्त्री)
प्रमदा मानिनी कान्ता ललना च नितम्बिनी
2.6.3.2
स्त्रीविशेषः. (3) - सुन्दरी (स्त्री), रमणी (स्त्री), रामा (स्त्री)
कोपनस्त्री. (2) - कोपना (स्त्री), भामिनी (स्त्री)
सुन्दरी रमणी रामा कोपना सैव भामिनी
2.6.4.1
अत्यन्तोत्कृष्टस्त्री. (4) - वरारोहा (स्त्री), मत्तकाशिनी (स्त्री), उत्तमा (स्त्री), वरवर्णिनी (स्त्री)
वरारोहा मत्तकाशिन्युत्तमा वरवर्णिनी
2.6.4.2
पट्टमहिषी. (1) - महिषी (स्त्री)
राजभार्या. (1) - भोगिनी (स्त्री)
कृताभिषेका महिषी भोगिन्योऽन्या नृपस्त्रियः
2.6.5.1
पत्नी. (4) - पत्नी (स्त्री), पाणिगृहीती (स्त्री), द्वितीया (स्त्री), सहधर्मिणी (स्त्री)
पत्नी पाणिगृहीती च द्वितीया सहधर्मिणी
2.6.5.2
पत्नी. (3) - भार्या (स्त्री), जाया (स्त्री), दार (पुं-बहु)
पतिपुत्रातिमती. (1) - कुटुम्बिनी (स्त्री)
भार्या जायाथ पुंभूम्नि दाराः स्यात्तु कुटुम्बिनी
2.6.6.1
पतिपुत्रातिमती. (1) - पुरन्ध्री (स्त्री)
पतिव्रता. (4) - सुचरित्रा (स्त्री), सती (स्त्री), साध्वी (स्त्री), पतिव्रता (स्त्री)
पुरन्ध्री सुचरित्रा तु सती साध्वी पतिव्रता
2.6.6.2
प्रथममूढा. (3) - कृतसपत्निका (स्त्री), अध्यूढा (स्त्री), अधिविन्ना (स्त्री)
स्वेच्छाकृतपतिवरणा. (1) - स्वयंवरा (स्त्री)
कृतसापत्निकाध्यूढाधिविन्नाथ स्वयंवरा
2.6.7.1
स्वेच्छाकृतपतिवरणा. (2) - पतिंवरा (स्त्री), वर्या (स्त्री)
दोषवारणकृतकुलरक्षास्त्री. (2) - कुलस्त्री (स्त्री), कुलपालिका (स्त्री)
पतिंवरा च वर्याथ कुलस्त्री कुलपालिका
2.6.7.2
कन्या. (2) - कन्या (स्त्री), कुमारी (स्त्री)
अदृष्टरजस्का. (3) - गौरी (स्त्री), नग्निका (स्त्री), अनागतार्तवा (स्त्री)
कन्या कुमारी गौरी तु नग्निकानागतार्तवा
2.6.8.1
प्रथमप्राप्तरजोयोगा. (2) - मध्यमा (स्त्री), दृष्टरजस् (स्त्री)
यौवनयुक्ता. (2) - तरुणी (स्त्री), युवति (स्त्री)
स्यान्मध्यमा दृष्टरजास्तरुणी युवतिः समे
2.6.8.2
पुत्रभार्या. (3) - स्नुषा (स्त्री), जनी (स्त्री), वधू (स्त्री)
प्राप्तयौवना पितृगेहस्था. (2) - चिरिण्टी (स्त्री), सुवासिनी (स्त्री)
समाः स्नुषाजनीवध्वश्चिरिण्टी तु सुवासिनी
2.6.9.1
धनादीच्छायुक्ता. (2) - इच्छावती (स्त्री), कामुका (स्त्री)
मैथुनेच्छावती. (2) - वृषस्यन्ती (स्त्री), कामुकी (स्त्री)
इच्छावती कामुका स्याद्वृषस्यन्ती तु कामुकी
2.6.9.2
या कान्तेच्छयारतिस्थानं गच्छती सा. (1) - अभिसारिका (स्त्री)
कान्तार्थिनी तु या याति संकेतं साभिसारिका
2.6.10.1
स्वैरिणी. (6) - पुंश्चली (स्त्री), धर्षिणी (स्त्री), बन्धकी (स्त्री), असती (स्त्री), कुलटा (स्त्री), इत्वरी (स्त्री)
पुंश्चली धर्षिणी बन्धक्यसती कुलटेत्वरी
2.6.10.2
स्वैरिणी. (2) - स्वैरिणी (स्त्री), पांसुला (स्त्री)
अपत्यरहिता. (1) - अशिश्वी (स्त्री)
स्वैरिणी पांसुला च स्यादशिश्वी शिशुना विना
2.6.11.1
पतिपुत्ररहिता. (1) - अवीरा (स्त्री)
विधवा. (2) - विश्वस्ता (स्त्री), विधवा (स्त्री)
अवीरा निष्पतिसुता विश्वस्ताविधवे समे
2.6.11.2
सखी. (3) - आलि (स्त्री), सखी (स्त्री), वयस्या (स्त्री)
सुमङ्गली. (2) - पतिवत्नी (स्त्री), सभर्तृका (स्त्री)
आलिः सखी वयस्याथ पतिवत्नी सभर्तृका
2.6.12.1
पक्वकेशी. (2) - वृद्धा (स्त्री), पलिक्नी (स्त्री)
स्वयम्ज्ञात्री. (2) - प्राज्ञी (स्त्री), प्रज्ञा (स्त्री)
प्रशस्तबुद्धी. (2) - प्राज्ञा (स्त्री), धीमती (स्त्री)
वृद्धा पलिक्नी प्राज्ञी तु प्रज्ञा प्राज्ञा तु धीमती
2.6.12.2
शूद्रस्यभार्या. (1) - शूद्री (स्त्री)
शूद्रजातीया. (1) - शूद्रा (स्त्री)
शूद्री शूद्रस्य भार्या स्याच्छूद्रा तज्जातिरेव च
2.6.13.1
आभीरी. (2) - आभीरी (स्त्री), महाशूद्री (स्त्री)
आभीरी तु महाशूद्री जातिपुंयोगयोः समा
2.6.13.2
वैश्यजातीया. (2) - अर्याणी (स्त्री), अर्या (स्त्री)
क्षत्रियजातीया. (2) - क्षत्रिया (स्त्री), क्षत्रियाणी (स्त्री)
अर्याणी स्वयमर्या स्यात्क्षत्रिया क्षत्रियाण्यपि
2.6.14.1
स्वयम्विद्योपदेशीनी. (2) - उपाध्याया (स्त्री), उपाध्यायी (स्त्री)
स्वयम्मन्त्रव्याख्यात्री. (1) - आचार्या (स्त्री)
उपाध्यायाप्युपाध्यायी स्यादाचार्यापि च स्वतः
2.6.14.2
आचार्यभार्या. (1) - आचार्यानी (स्त्री)
वैश्यपत्नी. (1) - अर्यी (स्त्री)
क्षत्रियपत्नी. (1) - क्षत्रियी (स्त्री)
आचार्यानी तु पुंयोगे स्यादर्यी क्षत्रियी तथा
2.6.15.1
विद्योपदेष्टृभार्या. (2) - उपाध्यायानी (स्त्री), उपाध्यायी (स्त्री)
नपुंसकम्. (1) - पोटा (स्त्री)
उपाध्यायान्युपाध्यायी पोटा स्त्रीपुंसलक्षणा
2.6.15.2
वीरस्य भार्या. (2) - वीरपत्नी (स्त्री), वीरभार्या (स्त्री)
वीरस्य माता. (2) - वीरमातृ (स्त्री), वीरसू (स्त्री)
वीरपत्नी वीरभार्या वीरमाता तु वीरसूः
2.6.16.1
प्रसूता. (4) - जातापत्या (स्त्री), प्रजाता (स्त्री), प्रसूता (स्त्री), प्रसूतिका (स्त्री)
जातापत्या प्रजाता च प्रसूता च प्रसूतिका
2.6.16.2
नग्ना. (2) - नग्निका (स्त्री), कोटवी (स्त्री)
दूती. (2) - दूती (स्त्री), सञ्चारिका (स्त्री)
स्त्री नग्निका कोटवी स्याद्दूतीसंचारिके समे
2.6.17.1
अर्धवृद्धा काषायवसना अधवा च स्त्री. (1) - कात्यायनी (स्त्री)
कात्यायन्यर्धवृद्धा या काषायवसनाधवा
2.6.17.2
परवेश्मस्था स्ववशा शिल्पकारिका च स्त्री. (1) - सैरन्ध्री (स्त्री)
सैरन्ध्री परवेश्मस्था स्ववशा शिल्पकारिका
2.6.18.1
कृष्णकेशी प्रेष्यान्तःपुरचारिणी च स्त्री. (1) - असिक्नी (स्त्री)
असिक्नी स्यादवृद्धा या प्रेष्यान्तःपुरचारिणी
2.6.18.2
वेश्या. (4) - वारस्त्री (स्त्री), गणिका (स्त्री), वेश्या (स्त्री), रूपाजीवा (स्त्री)
वारस्त्री गणिका वेश्या रूपाजीवाथ सा जनैः
2.6.19.1
जनैः सत्कृतवेश्या. (1) - वारमुख्या (स्त्री)
परनारीं पुंसा संयोजयित्री. (2) - कुट्टनी (स्त्री), शम्भली (स्त्री)
सत्कृता वारमुख्या स्यात्कुट्टनी शम्भली समे
2.6.19.2
शुभाशुभनिरूपिणी. (3) - विप्रश्निका (स्त्री), ईक्षणिका (स्त्री), दैवज्ञा (स्त्री)
रजस्वला. (1) - रजस्वला (स्त्री)
विप्रश्निका त्वीक्षणिका दैवज्ञाथ रजस्वला
2.6.20.1
रजस्वला. (5) - स्त्रीधर्मिणी (स्त्री), अवि (स्त्री), आत्रेयी (स्त्री), मलिनी (स्त्री), पुष्पवती (स्त्री)
स्त्रीधर्मिण्यविरात्रेयी मलिनी पुष्पवत्यपि
2.6.20.2
रजस्वला. (2) - ऋतुमती (स्त्री), उदक्या (स्त्री)
आर्तवम्. (3) - रजस् (नपुं), पुष्प (नपुं), आर्तव (नपुं)
ऋतुमत्यप्युदक्यापि स्याद्रजः पुष्पमार्तवम्
2.6.21.1
गर्भवशादभिलाषविशेषवती. (2) - श्रद्धालु (स्त्री), दोहदवती (स्त्री)
रजोहीना. (2) - निष्कला (स्त्री), विगतार्तवा (स्त्री)
श्रद्धालुर्दोहदवती निष्कला विगतार्तवा
2.6.21.2
गर्भिणी. (4) - आपन्नसत्त्वा (स्त्री), गुर्विणी (स्त्री), अन्तर्वत्नी (स्त्री), गर्भिणी (स्त्री)
आपन्नसत्त्वा स्याद्गुर्विण्यन्तर्वत्नी च गर्भिणी
2.6.22.1
गणिकासमूहः. (1) - गाणिक्य (नपुं)
गर्भिणीसमूहः. (1) - गार्भिण (नपुं)
युवतीसमूहः. (1) - यौवत (नपुं)
गणिकादेस्तु गाणिक्यं गार्भिणं यौवतं गणे
2.6.22.2
द्विवारमूढा. (2) - पुनर्भू (स्त्री), दिधिषु (स्त्री)
द्व्यूढापतिः. (1) - दिधिषू (स्त्री)
पुनर्भूर्दिधिषूरूढा द्विस्तस्या दिधिषुः पतिः
2.6.23.1
द्व्यूढाप्रधानभार्यः. (1) - अग्रेदिधिषू (पुं)
स तु द्विजोऽग्रे दिधिषूः सैव यस्य कुटुम्बिनी
2.6.23.2
कन्यकासुतः. (2) - कानीन (पुं), कन्यकाजात (पुं)
सुभगापुत्रः. (1) - सुभगासुत (पुं)
कानीनः कन्यकाजातः सुतोऽथ सुभगासुतः
2.6.24.1
सुभगापुत्रः. (1) - सौभागिनेय (पुं)
परभार्यापुत्रः. (1) - पारस्त्रैणेय (पुं)
सौभागिनेयः स्यात्पारस्त्रैणेयस्तु परस्त्रियाः
2.6.24.2
पितृष्वसुः सुतः. (2) - पैतृष्वसेय (पुं), पैतृष्वस्रीय (पुं)
पैतृष्वसेयः स्यात्पैतृष्वस्रीयश्च पितृष्वसुः
2.6.25.1
मातृष्वसुः सुतः. (1) - मातृष्वसृ (स्त्री)
अपरमातृसुतः. (2) - वैमात्रेय (पुं), विमातृज (पुं)
सुता मातृष्वसुश्चैवं वैमात्रेयो विमातृजः
2.6.25.2
कुलटायाः पुत्रः. (3) - बान्धकिनेय (पुं), बन्धुल (पुं), असतीसुत (पुं)
अथ बान्धकिनेयः स्याद्बन्धुलश्चासतीसुतः
2.6.26.1
कुलटायाः पुत्रः. (2) - कौलटेर (पुं), कौलटेय (पुं)
कौलटेरः कौलटेयो भिक्षुकी तु सती यदि
2.6.26.2
सत्या भिक्षार्थमटन्त्याः पुत्रः. (2) - कौलटिनेय (पुं), कौलटेय (पुं)
तदा कौलटिनेयोऽस्याः कौलटेयोऽपि चात्मजः
2.6.27.1
पुत्रः. (5) - आत्मज (पुं), तनय (पुं), सूनु (पुं), सुत (पुं), पुत्र (पुं)
आत्मजस्तनयः सूनुः सुतः पुत्रः स्त्रियां त्वमी
2.6.27.2
तनयदुहित्रोः नाम. (2) - अपत्य (नपुं), तोक (नपुं)
पुत्री. (5) - आत्मजा (स्त्री), तनया (स्त्री), सूनू (स्त्री), सुता (स्त्री), पुत्री (स्त्री)
आहुर्दुहितरं सर्वेऽपत्यं तोकं तयोः समे
2.6.28.1
स्वस्माज्जातपुत्रः. (2) - उरस्य (पुं), औरस (पुं)
पिता. (3) - तात (पुं), जनक (पुं), पितृ (पुं)
स्वजाते त्वौरसोरस्यौ तातस्तु जनकः पिता
2.6.28.2
जननी. (4) - जनयित्री (स्त्री), प्रसू (स्त्री), मातृ (स्त्री), जननी (स्त्री)
भगिनी. (2) - भगिनी (स्त्री), स्वसृ (स्त्री)
जनयित्री प्रसूर्माता जननी भगिनी स्वसा
2.6.29.1
भर्तृभगिनी. (1) - ननन्दृ (स्त्री)
सुतस्य सुतायाः वा अपत्यः. (3) - नप्त्री (स्त्री), पौत्री (स्त्री), सुतात्मजा (स्त्री)
ननान्दा तु स्वसा पत्युर्नप्त्री पौत्री सुतात्मजा
2.6.29.2
परस्परम् भ्रातृभार्या. (1) - यातर (स्त्री)
भार्यास्तु भ्रातृवर्गस्य यातरः स्युः परस्परम्
2.6.30.1
भ्रातृपत्निः. (2) - प्रजावती (स्त्री), भ्रातृजाया (स्त्री)
मातुलभार्या. (2) - मातुलानी (स्त्री), मातुली (स्त्री)
प्रजावती भ्रातृजाया मातुलानी तु मातुली
2.6.30.2
पत्युर्वा पत्न्याः वा माता. (1) - श्वश्रू (स्त्री)
पत्युर्वा पत्न्याः वा पिता. (1) - श्वशुर (पुं)
पतिपत्न्योः प्रसूः श्वश्रूः श्वशुरस्तु पिता तयोः
2.6.31.1
पितुर्भ्राता. (1) - पितृव्य (पुं)
मातुर्भ्राता. (1) - मातुल (पुं)
पितुर्भ्राता पितृव्यः स्यान्मातुर्भ्राता तु मातुलः
2.6.31.2
पत्नीभ्राता. (1) - श्याल (पुं)
पत्युः कनिष्ठभ्राता. (2) - देवृ (पुं), देवर (पुं)
श्यालाः स्युर्भ्रातरः पत्न्याः स्वामिनो देवृदेवरौ
2.6.32.1
भगिनीसुताः. (2) - स्वस्रीय (पुं), भागिनेय (पुं)
पुत्र्याः पतिः. (1) - जामातृ (पुं)
स्वस्रीयो भागिनेयः स्याज्जामाता दुहितुः पतिः
2.6.32.2
पितुः पिता. (2) - पितामह (पुं), पितृपितृ (पुं)
पितामहस्य पिता. (1) - प्रपितामह (पुं)
पितामहः पितृपिता तत्पिता प्रपितामहः
2.6.33.1
मातुः पिता. (1) - मातामह (पुं)
मातामहस्य पिता. (1) - प्रमातामह (पुं)
सपिण्डाः. (2) - सपिण्ड (पुं), सनाभि (पुं)
मातुर्मातामहाद्येवं सपिण्डास्तु सनाभयः
2.6.33.2
एकोदरभ्राता. (4) - समानोदर्य (पुं), सोदर्य (पुं), सगर्भ्य (पुं), सहज (पुं)
समानोदर्यसोदर्यसगर्भ्यसहजाः समाः
2.6.34.1
सगोत्रः. (6) - सगोत्र (पुं), बान्धव (पुं), ज्ञाति (पुं), बन्धु (पुं), स्व (पुं), स्वजन (पुं)
सगोत्रबान्धवज्ञातिबन्धुस्वस्वजनाः समाः
2.6.34.2
ज्ञातेर्भावः. (1) - ज्ञातेय (नपुं)
बन्धूनां समूहः. (1) - बन्धुता (स्त्री)
ज्ञातेयं बन्धुता तेषां क्रमाद्भावसमूहयोः
2.6.35.1
पतिः. (4) - धव (पुं), प्रिय (पुं), पति (पुं), भर्तृ (पुं)
मुख्यादन्यभर्ता. (2) - जार (पुं), उपपति (पुं)
धवः प्रियः पतिर्भर्ता जारस्तूपपतिः समौ
2.6.35.2
जीवति पत्यौ जारजातः पुत्रः. (1) - कुण्ड (पुं)
विधवायाम् जारजातः पुत्रः. (1) - गोलक (पुं)
अमृते जारजः कुण्डो मृते भर्तरि गोलकः
2.6.36.1
भ्रातृपुत्रः. (2) - भ्रात्रीय (पुं), भ्रातृज (पुं)
भ्रातृभगिन्योः नाम. (2) - भ्रातृभगिनी (पुं), भ्रातर् (पुं-द्वि)
भ्रात्रीयो भ्रातृजो भ्रातृभगिन्यौ भ्रातरावुभौ
2.6.36.2
मातापितरौ. (4) - मातापितृ (पुं-द्वि), पितरौ (पुं-द्वि), मातरपितृ (पुं-द्वि), प्रसूजनयितृ (पुं-द्वि)
मातापितरौ पितरौ मातरपितरौ प्रसूजनयितारौ
2.6.37.1
श्वश्रूश्वशुरौ. (2) - श्वश्रूश्वशुर (पुं-द्वि), श्वशुर (पुं-द्वि)
पुत्रश्च पुत्री च. (1) - पुत्रौ (पुं-द्वि)
श्वश्रूश्वशुरौ श्वशुरौ पुत्रौ पुत्रश्च दुहिता च
2.6.37.2
दम्पती. (4) - दम्पती (पुं-द्वि), जम्पती (पुं-द्वि), जायापती (पुं-द्वि), भार्यापती (पुं-द्वि)
दम्पती जम्पती जायापती भार्यापती च तौ
2.6.38.1
गर्भवेष्टनचर्मः. (2) - गर्भाशय (पुं), जरायु (पुं)
शुक्लशोणितसम्पातः. (2) - उल्ब (पुं-नपुं), कलल (पुं-नपुं)
गर्भाशयो जरायुः स्यादुल्बं च कललोऽस्त्रियाम्
2.6.38.2
प्रसवमासः. (2) - सूतिमास (पुं), वैजनन (पुं)
कुक्षिस्थगर्भः. (2) - गर्भ (पुं), भ्रूण (पुं)
सूतिमासो वैजननो गर्भो भ्रूण इमौ समौ
2.6.39.1
नपुंसकम्. (5) - तृतीयाप्रकृति (पुं), शण्ढ (पुं), क्लीब (पुं-नपुं), षण्ड (पुं), नपुंसक (पुं-नपुं)
तृतीया प्रकृतिः शण्ढः क्लीबः पण्डो नपुंसके
2.6.39.2
बाल्यत्वम्. (3) - शिशुत्व (नपुं), शैशव (नपुं), बाल्य (नपुं)
तारुण्यम्. (2) - तारुण्य (नपुं), यौवन (नपुं)
शिशुत्वं शैशवं बाल्यं तारुण्यं यौवनं समे
2.6.40.1
वृद्धत्वम्. (2) - स्थाविर (नपुं), वृद्धत्व (नपुं)
वृद्धसमूहः. (2) - वृद्धसङ्घ (पुं), वार्धक (नपुं)
स्यात्स्थाविरं तु वृद्धत्वं वृद्धसंघेऽपि वार्धकम्
2.6.40.2
जरया शुक्लः. (1) - पलित (नपुं)
जरा. (2) - विस्रसा (स्त्री), जरा (स्त्री)
पलितं जरसा शौक्ल्यं केशादौ विस्रसा जरा
2.6.41.1
अतिबालिका. (4) - उत्तानशया (स्त्री), डिम्भा (स्त्री), स्तनपा (स्त्री), स्तनन्धयी (स्त्री)
स्यादुत्तानशया डिम्भा स्तनपा च स्तनन्धयी
2.6.41.2
बालः. (2) - बाल (पुं), माणवक (पुं)
युवा. (3) - वयस्थ (पुं), तरुण (पुं), युवन् (पुं)
बालस्तु स्यान्माणवको वयस्थस्तरुणो युवा
2.6.42.1
वृद्धः. (6) - प्रवयस् (पुं), स्थविर (पुं), वृद्ध (पुं), जीन (पुं), जीर्ण (पुं), जरत् (पुं)
प्रवयाः स्थविरो वृद्धो जीनो जीर्णो जरन्नपि
2.6.42.2
अतिवृद्धः. (3) - वर्षीयस् (पुं), दशमिन् (पुं), ज्यायस् (पुं)
ज्येष्ठभ्राता. (3) - पूर्वज (पुं), अग्रिय (पुं), अग्रज (पुं)
वर्षीयान्दशमी ज्यायान्पूर्वजस्त्वग्रियोऽग्रजः
2.6.43.1
कनिष्ठभ्राता. (5) - जघन्यज (पुं), कनिष्ठ (पुं), यवीय (पुं), अवरज (पुं), अनुज (पुं)
जघन्यजे स्युः कनिष्ठयवीयोऽवरजानुजाः
2.6.43.2
निर्बलः. (3) - अमांस (पुं), दुर्बल (पुं), छात (पुं)
बलवान्. (3) - बलवत् (पुं), मांसल (पुं), अंसल (पुं)
अमांसो दुर्बलश्छातो बलवान्मांसलोंऽसलः
2.6.44.1
स्थूलोदरः. (5) - तुन्दिल (पुं), तुन्दिक (पुं), तुन्दिन् (पुं), बृहत्कुक्षि (पुं), पिचण्डिल (पुं)
तुन्दिलस्तुन्दिभस्तुन्दी बृहत्कुक्षिः पिचण्डिलः
2.6.44.2
चिपिटनासः. (4) - अवटीट (पुं), अवनाट (पुं), अवभ्रट (पुं), नतनासिक (पुं)
अवटीटोऽवनाटश्चावभ्रटो नतनासिके
2.6.45.1
प्रशस्तकेशः. (3) - केशव (पुं), केशिक (पुं), केशिन् (पुं)
श्लथचर्मवान्. (2) - वलिन (पुं), वलिभ (पुं)
केशवः केशिकः केशी वलिनो वलिभः समौ
2.6.45.2
स्वभावन्यूनाधिकाङ्गः. (2) - विकलाङ्ग (पुं), अपोगण्ड (पुं)
ह्रस्वः. (3) - खर्व (पुं), ह्रस्व (पुं), वामन (पुं)
विकलाङ्गस्त्वपोगण्डः खर्वो ह्रस्वश्च वामनः
2.6.46.1
तीक्ष्णनासिकः. (2) - खरणस् (पुं), खरणस (पुं)
गतनासिकः. (2) - विग्र (पुं), गतनासिक (पुं)
खरणाः स्यात्खरणसो विग्रस्तु गतनासिकः
2.6.46.2
पशुखुरणसदृशनासिकः. (2) - खुरणस् (पुं), खुरणस (पुं)
विरलजानुकः. (2) - प्रज्ञु (पुं), प्रगतजानुक (पुं)
खुरणाः स्यात्खुरणसः प्रज्ञुः प्रगतजानुकः
2.6.47.1
ऊर्ध्वजानुकः. (2) - ऊर्ध्वज्ञु (पुं), ऊर्ध्वजानु (पुं)
संलग्नजानुकः. (2) - संज्ञु (पुं), संहतजानुक (पुं)
ऊर्ध्वज्ञुरूर्ध्वजानुः स्यात्संज्ञुः संहतजानुकः
2.6.47.2
श्रवणशक्तिहीनः. (2) - एड (पुं), बधिर (पुं)
कुब्जः. (2) - कुब्ज (पुं), गडुल (पुं)
रोगादिना वक्रकरः. (2) - कुकर (पुं), कुणि (पुं)
स्यादेडे बधिरः कुब्जे गडुलः कुकरे कुणिः
2.6.48.1
अल्पशरीरः. (2) - पृश्नि (पुं), अल्पतनु (पुं)
जङ्घाहीनः. (2) - श्रोण (पुं), पङ्गु (पुं)
खण्डितकेशः. (2) - मुण्ड (पुं), मुण्डित (पुं)
पृश्निरल्पतनौ श्रोणः पङ्गौ मुण्डस्तु मुण्डिते
2.6.48.2
नेत्रवियुक्तः. (2) - वलिर (पुं), केकर (पुं)
गतिविकलः. (2) - खोड (पुं), खञ्ज (पुं)
वलिरः केकरे खोडे खञ्जस्त्रिषु जरावराः
2.6.49.1
कृष्णवर्णदेहगतचिह्नः. (3) - जडुल (पुं), कालक (पुं), पिप्लु (पुं)
देहस्थतिलचिह्नः. (2) - तिलक (पुं), तिलकालक (पुं)
जडुलः कालकः पिप्लुस्तिलकस्तिलकालकः
2.6.49.2
रोगाभावः. (2) - अनामय (नपुं), आरोग्य (नपुं)
रोगनिवारणः. (2) - चिकित्सा (स्त्री), रुक्प्रतिक्रिया (स्त्री)
अनामयं स्यादारोग्यं चिकित्सा रुक्प्रतिक्रिया
2.6.50.1
औषधम्. (5) - भेषज (नपुं), औषध (नपुं), भैषज्य (नपुं), अगद (पुं), जायु (पुं)
भेषजौषधभैषज्यान्यगदो जायुरित्यपि
2.6.50.2
रोगः. (7) - रुज् (स्त्री), रुजा (स्त्री), उपताप (पुं), रोग (पुं), व्याधि (पुं), गद (पुं), आमय (पुं)
स्त्री रुग्रुजा चोपतापरोगव्याधिगदामयाः
2.6.51.1
राजयक्ष्मा. (3) - क्षय (पुं), शोष (पुं), यक्ष्मन् (पुं)
नासारोगः. (2) - प्रतिश्याय (पुं), पीनस (पुं)
क्षयः शोषश्च यक्ष्मा च प्रतिश्यायस्तु पीनसः
2.6.51.2
छिक्का. (3) - क्षुत् (स्त्री), क्षुत (नपुं), क्षव (पुं)
कासरोगः. (2) - कास (पुं), क्षवथु (पुं)
स्त्री क्षुत्क्षुतं क्षवः पुंसि कासस्तु क्षवथुः पुमान्
2.6.52.1
शोथः. (3) - शोफ (पुं), श्वयथु (पुं), शोथ (पुं)
पादस्फोटनरोगः. (2) - पादस्फोट (पुं), विपादिका (स्त्री)
शोफस्तु श्वयथुः शोथः पादस्फोटो विपादिका
2.6.52.2
सिध्मरोगः. (2) - किलास (नपुं), सिध्म (नपुं)
खसुरोगः. (4) - कच्छू (स्त्री), पामन् (पुं), पामा (स्त्री), विचर्चिका (स्त्री)
किलाससिध्मे कच्छ्वां तु पाम पामा विचर्चिका
2.6.53.1
गात्रविर्घणः. (3) - कण्डू (स्त्री), खर्जू (स्त्री), कण्डूया (स्त्री)
विस्फोटः. (2) - विस्फोट (पुं), पिटक (वि)
कण्डूः खर्जूश्च कण्डूया विस्फोटः पिटकः स्त्रियाम्
2.6.53.2
व्रणम्. (3) - व्रण (पुं-नपुं), ईर्म (नपुं), अरुस् (नपुं)
सदा गलतो व्रणम्. (1) - नाडीव्रण (पुं)
व्रणोऽस्त्रियामीर्ममरुः क्लीबे नाडीव्रणः पुमान्
2.6.54.1
मण्डलाकारकुष्ठः. (2) - कोठ (पुं), मण्डलक (नपुं)
श्वेतकुष्ठः. (2) - कुष्ठ (नपुं), श्वित्र (नपुं)
गुदरोगः. (2) - दुर्नामक (नपुं), अर्शस् (नपुं)
कोठो मण्डलकं कुष्ठश्वित्रे दुर्नामकार्शसी
2.6.54.2
मलमूत्रनिरोधः. (2) - आनाह (पुं), विबन्ध (पुं)
ग्रहणीरोगः. (2) - ग्रहणी (स्त्री), रुक्प्रवाहिका (स्त्री)
आनाहस्तु निबन्धः स्याद्ग्रहणीरुक्प्रवाहिका
2.6.55.1
वमनम्. (3) - प्रच्छर्दिका (स्त्री), वमि (स्त्री), वमथु (पुं)
प्रच्छर्दिका वमिश्च स्त्री पुमांस्तु वमथुः समाः
2.6.55.2
विद्रधिरोगः. (1) - विद्रधि (स्त्री)
ज्वरः. (1) - ज्वर (पुं)
प्रमेहरोगः. (1) - मेह (पुं)
भगन्दररोगः. (1) - भगन्दर (पुं)
व्याधिभेदा विद्रधिः स्त्री ज्वरमेहभगन्दराः
2.6.56.1
पादवल्मीकरोगः. (2) - श्लीपद (नपुं), पादवल्मीक (नपुं)
मस्तककेशरोगः. (2) - केशघ्न (नपुं), इन्द्रलुप्तक (नपुं)
श्लीपदं पादवल्मीकं केशघ्नस्त्विन्द्रलुप्तकः
2.6.56.2
मूत्रकृच्छ्रम्. (2) - अश्मरी (स्त्री), मूत्रकृच्छ्र (नपुं)
अश्मरी मूत्रकृच्छ्रं स्यात्पूर्वे शुक्रावधेस्त्रिषु
2.6.56.3
वैद्यः. (5) - रोगहारिन् (पुं), अगदङ्कार (पुं), भिषज् (पुं), वैद्य (पुं), चिकित्सक (पुं)
रोगहार्यगदङ्कारो भिषग्वैद्यौ चिकित्सके
2.6.57.1
रोगनिर्मुक्तः. (4) - वार्त (नपुं), निरामय (वि), कल्य (वि), उल्लाघ (वि)
वार्तो निरामयः कल्य उल्लाघो निर्गतो गदात्
2.6.57.2
रोगेण क्षीणितः. (2) - ग्लान (वि), ग्लास्नु (वि)
रोगी. (4) - आमयाविन् (वि), विकृत (वि), व्याधित (वि), अपटु (वि)
ग्लानग्लास्नू आमयावी विकृतो व्याधितोऽपटुः
2.6.58.1
रोगी. (3) - आतुर (वि), अभ्यमित (वि), अभ्यान्त (वि)
पामायुक्तः. (2) - पामन (वि), कच्छुर (वि)
आतुरोऽभ्यमितोऽभ्यान्तः समौ पामनकच्छुरौ
2.6.58.2
दर्द्रुयुक्तः. (2) - दद्रुण (वि), दद्रुरोगिन् (वि)
मूलव्याधिः. (2) - अर्शोरोग (वि), अर्शस् (वि)
दद्रुणो दद्रुरोगी स्यादर्शोरोगयुतोऽर्शसः
2.6.59.1
वातरोगी. (2) - वातकिन् (वि), वातरोगिन् (वि)
अतिसारवान्. (2) - सातिसार (वि), अतिसारकिन् (वि)
वातकी वातरोगी स्यात्सातिसारोऽतिसारकी
2.6.59.2
क्लिन्ननेत्रवान्. (3) - चुल्ल (वि), चिल्ल (वि), पिल्ल (वि)
स्युः क्लिन्नाक्षे चुल्लचिल्लपिल्लाः क्लिन्नेऽक्ष्णि चाप्यमी
2.6.60.1
वातकृतचित्तविभ्रमः. (2) - उन्मत्त (वि), उन्मादवत् (वि)
कफवातः. (3) - श्लेष्मल (वि), श्लेष्मण (वि), कफिन् (वि)
उन्मत्त उन्मादवति श्लेष्मलः श्लेष्मणः कफी
2.6.60.2
कुब्जः. (1) - न्युब्ज (वि)
उन्नतनाभियुक्तपुरुषः. (3) - वृद्धनाभि (वि), तुन्दिल (वि), तुन्दिभ (वि)
न्युब्जो भुग्ने रुजा वृद्धनाभौ तुन्दिलतुन्दिभौ
2.6.61.1
सिध्मयुक्तः. (2) - किलासिन् (वि), सिध्मल (वि)
अचक्षुष्कः. (2) - अन्ध (वि), अदृश् (वि)
मूर्च्छावान्. (3) - मूर्च्छाल (वि), मूर्त (वि), मूर्च्छित (वि)
किलासी सिध्मलोऽन्धोऽदृङ्मूर्च्छाले मूर्तमूर्च्छितौ
2.6.61.2
रेतस्. (6) - शुक्र (नपुं), तेजस् (नपुं), रेतस् (नपुं), बीज (नपुं), वीर्य (नपुं), इन्द्रिय (नपुं)
शुक्रं तेजोरेतसी च बीजवीर्येन्द्रियाणि च
2.6.62.1
पित्तम्. (2) - मायु (पुं), पित्त (नपुं)
कफः. (2) - कफ (पुं), श्लेष्मन् (पुं)
चर्मः. (2) - त्वच् (स्त्री), असृर्ग्धरा (स्त्री)
मायुः पित्तं कफः श्लेष्मा स्त्रियां तु त्वगसृग्धरा
2.6.62.2
मांसम्. (6) - पिशित (नपुं), तरस (नपुं), मांस (नपुं), पलल (नपुं), क्रव्य (नपुं), आमिष (नपुं)
पिशितं तरसं मांसं पललं क्रव्यमामिषम्
2.6.63.1
शुष्कमांसम्. (3) - उत्तप्त (नपुं), शुष्कमांस (नपुं), वल्लूर (वि)
उत्ततप्तं शुष्कमांसं स्यात्तद्वल्लूरं त्रिलिङ्गकम्
2.6.63.2
रक्तम्. (7) - रुधिर (नपुं), असृज् (नपुं), लोहित (नपुं), अस्र (नपुं), रक्त (नपुं), क्षतज (नपुं), शोणित (नपुं)
रुधिरेऽसृग्लोहितास्ररक्तक्षतजशोणितम्
2.6.64.1
हृदयान्तर्गतमांसम्. (2) - बुक्का (स्त्री), अग्रमांस (नपुं)
हृदयकमलम्. (2) - हृदय (नपुं), हृद् (नपुं)
शुद्धमांसस्नेहः. (3) - मेदस् (नपुं), वपा (स्त्री), वसा (स्त्री)
बुक्काग्रमांसं हृदयं हृन्मेदस्तु वपा वसा
2.6.64.2
ग्रीवा. (1) - मन्या (स्त्री)
धमनिः. (3) - नाडी (स्त्री), धमनि (स्त्री), सिरा (स्त्री)
पश्चाद्ग्रीवाशिरा मन्या नाडी तु धमनिः शिरा
2.6.65.1
उदर्यजलाशयः. (2) - तिलक (नपुं), क्लोमन् (नपुं)
मस्तकभवस्नेहः. (2) - मस्तिष्क (नपुं), गोर्द (नपुं)
मलम्. (2) - किट्ट (नपुं), मल (पुं-नपुं)
तिलकं क्लोम मस्तिष्कं गोर्दं किट्टं मलोऽस्त्रियाम्
2.6.65.2
अन्त्रम्. (2) - अन्त्र (नपुं), पुरीतत् (पुं-नपुं)
कुक्षिवामपार्श्वेमांसपिण्डः. (2) - गुल्म (पुं), प्लीहन् (पुं)
स्नायुः. (1) - वस्नसा (स्त्री)
अन्त्रं पुरीतद्गुल्मस्तु प्लीहा पुंस्यथ वस्नसा
2.6.66.1
स्नायुः. (1) - स्नायु (स्त्री)
कुक्षेर्दक्षिणभागस्थमांसखण्डः. (2) - कालखण्ड (नपुं), यकृत् (नपुं)
स्नायुः स्त्रियां कालखण्डयकृती तु समे इमे
2.6.66.2
लाला. (3) - सृणिका (स्त्री), स्यन्दिनी (स्त्री), लाला (स्त्री)
नेत्रमलम्. (1) - दूषिका (स्त्री)
सृणिका स्यन्दिनी लाला दूषिका नेत्रयोर्मलम्
2.6.67.1
नासामलम्. (2) - नासामल (नपुं), सिङ्घाण (पुं)
कर्णमलम्. (1) - पिञ्जूष (पुं)
नासामलं तु सिङ्घाणं पिञ्जूषं कर्णयोर्मलम्
2.6.67.2
मूत्रम्. (2) - मूत्र (नपुं), प्रस्राव (पुं)
पुरीषम्. (4) - उच्चार (पुं), अवस्कर (पुं), शमल (नपुं), शकृत् (नपुं)
मूत्रं प्रस्राव उच्चारावस्करौ शमलं शकृत्
2.6.67.3
पुरीषम्. (5) - पुरीष (नपुं), गूथ (नपुं), वर्चस्क (पुं-नपुं), विष्ठा (स्त्री), विश् (स्त्री)
पुरीषं गूथवर्चस्कमस्त्री विष्ठाविशौ स्त्रियौ
2.6.68.1
शिरोस्थिखण्डः. (2) - कर्पर (पुं), कपाल (पुं-नपुं)
अस्थिः. (2) - कीकस (नपुं), कुल्य (नपुं)
स्यात्कर्परः कपालोऽस्त्री कीकसं कुल्यमस्थि च
2.6.68.2
शरीरगतास्थिपञ्चरः. (1) - कङ्काल (पुं)
पृष्ठमध्यगतास्थिदण्डः. (1) - कशेरुका (स्त्री)
स्याच्छरीरास्थ्नि कङ्कालः पृष्ठास्थ्नि तु कशेरुका
2.6.69.1
मस्तकास्थिः. (2) - शिरोस्थि (नपुं), करोटि (स्त्री)
पार्श्वास्थिः. (1) - पर्शुका (स्त्री)
शिरोस्थनि करोटिः स्त्री पार्श्वास्थनि तु पर्शुका
2.6.69.2
देहावयवः. (4) - अङ्ग (नपुं), प्रतीक (पुं), अवयव (पुं), अपघन (पुं)
देहः. (1) - कलेवर (नपुं)
अङ्गं प्रतीकोऽवयवोऽपघनोऽथ कलेवरम्
2.6.70.1
देहः. (6) - गात्र (नपुं), वपुस् (नपुं), संहनन (नपुं), शरीर (नपुं), वर्ष्मन् (नपुं), विग्रह (पुं)
गात्रं वपुः संहननं शरीरं वर्ष्म विग्रहः
2.6.70.2
देहः. (5) - काय (पुं), देह (पुं-नपुं), मूर्ति (स्त्री), तनु (स्त्री), तनू (स्त्री)
कायो देहः क्लीबपुंसोः स्त्रियां मूर्तिस्तनुस्तनूः
2.6.71.1
पादाग्रम्. (2) - पादाग्र (नपुं), प्रपद (नपुं)
चरणः. (4) - पाद (पुं), पद् (पुं), अङ्घ्रि (पुं), चरण (पुं-नपुं)
पादाग्रं प्रपदं पादः पदङ्घ्रिश्चरणोऽस्त्रियाम्
2.6.71.2
पादग्रन्थी. (2) - घुटिका (स्त्री), गुल्फ (पुं)
पादपश्चाद्भागः. (1) - पार्ष्णि (पुं)
तद्ग्रन्थी घुटिके गुल्फौ पुमान्पार्ष्णिस्तयोरधः
2.6.72.1
जङ्घा. (2) - जङ्घा (स्त्री), प्रसृता (स्त्री)
जानूरुसन्धिः. (3) - जानु (पुं-नपुं), ऊरुपर्वन् (पुं-नपुं), अष्टीवत् (पुं-नपुं)
जङ्घा तु प्रसृता जानूरुपर्वाष्ठीवदस्त्रियाम्
2.6.72.2
जानूपरिभागः. (2) - सक्थि (नपुं), ऊरु (पुं)
ऊरुसन्धिः. (1) - वङ्क्षण (पुं)
सक्थि क्लीबे पुमानूरुस्तत्सन्धिः पुंसि वङ्क्षणः
2.6.73.1
पुरीषनिर्गममार्गः. (3) - गुद (नपुं), अपान (नपुं), पायु (पुं)
नाभ्यधोभागः. (1) - बस्ति (स्त्री-पुं)
गुदं त्वपानं पायुर्ना वस्तिर्नाभेरधो द्वयोः
2.6.73.2
कटीफलकः. (2) - कट (पुं), श्रोणिफलक (नपुं)
कटिः. (3) - कटि (स्त्री), श्रोणि (स्त्री), ककुद्मती (स्त्री)
कटो ना श्रोणिफलकं कटिः श्रोणिः ककुद्मती
2.6.74.1
स्त्रीकट्याः पश्चाद्भागः. (1) - नितम्ब (पुं)
स्त्रीकट्याः अग्रभागः. (1) - जघन (नपुं)
पश्चान्नितम्बः स्त्रीकट्याः क्लीबे तु जघनं पुरः
2.6.74.2
पृष्ठवंशादधोगर्ताः. (2) - कूपक (पुं), कुकुन्दर (पुं)
कूपकौ तु नितम्बस्थौ द्वयहीने ककुन्दरे
2.6.75.1
कटिस्थमांसपिण्डाः. (2) - स्फिच् (स्त्री), कटिप्रोथ (पुं)
भगशिश्नः. (1) - उपस्थ (पुं)
स्त्रियाम्स्फिचौ कटिप्रोथावुपस्थो वक्ष्यमाणयोः
2.6.75.2
स्त्रीयोनिः. (2) - भग (नपुं), योनि (स्त्री-पुं)
पुरुषलिङ्गः. (4) - शिश्न (पुं), मेढ्र (पुं), मेहन (नपुं), शेफस् (नपुं)
भगं योनिर्द्वयोः शिश्नो मेढ्रो मेहनशेफसी
2.6.76.1
अण्डकोशः. (3) - मुष्क (पुं), अण्डकोश (पुं), वृषण (पुं)
पृष्ठवंशाधोभागः. (1) - त्रिक (नपुं)
मुष्कोऽण्डकोशो वृषणः पृष्ठवंशाधरे त्रिकम्
2.6.76.2
जठरम्. (5) - पिचण्ड (पुं), कुक्षि (पुं), जठर (पुं-नपुं), उदर (नपुं), तुन्द (नपुं)
वक्षोजः. (2) - स्तन (पुं), कुच (पुं)
पिचण्डकुक्षी जठरोदरं तुन्दं स्तनौ कुचौ
2.6.77.1
स्तनाग्रः. (2) - चूचुक (पुं-नपुं), कुचाग्र (नपुं)
अङ्कः. (2) - क्रोड (स्त्री-नपुं), भुजान्तर (नपुं)
चूचुकं तु कुचाग्रं स्यान्न ना क्रोडं भुजान्तरम्
2.6.77.2
उरस्. (3) - उरस् (नपुं), वत्स (पुं-नपुं), वक्षस् (नपुं)
देहपश्चाद्भागः. (1) - पृष्ठ (नपुं)
उरो वत्सं च वक्षश्च पृष्ठं तु चरमं तनोः
2.6.78.1
भुजशिरः. (3) - स्कन्ध (पुं), भुजशिरस् (नपुं), अंस (पुं-नपुं)
अंसकक्षसन्धिः. (1) - जत्रु (नपुं)
स्कन्धो भुजशिरोंऽसोऽस्त्री सन्धी तस्यैव जत्रुणी
2.6.78.2
कक्षः. (2) - बाहुमूल (नपुं), कक्ष (पुं)
कक्षयोरधोभगः. (1) - पार्श्व (पुं-नपुं)
बाहुमूले उभे कक्षौ पार्श्वमस्त्री तयोरधः
2.6.79.1
देहमध्यः. (3) - मध्यम (पुं-नपुं), अवलग्न (पुं-नपुं), मध्य (पुं-नपुं)
मध्यमं चावलग्नं च मध्योऽस्त्री द्वौ परौ द्वयोः
2.6.79.2
भुजः. (4) - भुज (स्त्री-पुं), बाहु (स्त्री-पुं), प्रवेष्ट (पुं), दोस् (पुं)
कूर्परः. (2) - कफोणि (स्त्री-पुं), कूर्पर (स्त्री-पुं)
भुजबाहू प्रवेष्टो दोः स्यात्कफोणिस्तु कूर्परः
2.6.80.1
कूर्परोपरिभागः. (1) - प्रगण्ड (पुं)
कूर्परयोरधः मणिबन्धपर्यन्तभागः. (1) - प्रकोष्ठ (पुं)
अस्योपरि प्रगण्डः स्यात्प्रकोष्ठस्तस्य चाप्यधः
2.6.80.2
करबहिर्भागः. (1) - करभ (पुं)
मणीबन्धादाकनिष्ठं करस्य करभो बहिः
2.6.81.1
हस्तः. (3) - पञ्चशाख (पुं), शय (पुं), पाणि (पुं)
अङ्गुष्ठसमीपाङ्गुली. (2) - तर्जनी (स्त्री), प्रदेशिनी (स्त्री)
पञ्चशाखः शयः पाणिस्तर्जनी स्यात्प्रदेशिनी
2.6.81.2
अङ्गुली. (2) - अङ्गुली (स्त्री), करशाखा (स्त्री)
प्रथमाङ्गुली. (1) - अङ्गुष्ठ (पुं)
तर्जनी. (1) - प्रदेशिनी (स्त्री)
अङ्गुल्यः करशाखाः स्युः पुंस्यङ्गुष्ठः प्रदेशिनी
2.6.82.1
मध्याङ्गुली. (1) - मध्यमा (स्त्री)
कनिष्ठिकासमीपवर्त्यङ्गुली. (1) - अनामिका (स्त्री)
कनिष्ठाङ्गुली. (1) - कनिष्ठा (स्त्री)
मध्यमानामिका चापि कनिष्ठा चेति ताः क्रमात्
2.6.82.2
नखः. (4) - पुनर्भव (पुं), कररुह (पुं), नख (पुं-नपुं), नखर (पुं-नपुं)
पुनर्भवः कररुहो नखोऽस्त्री नखरोऽस्त्रियाम्
2.6.83.1
तर्जनीसहिताङ्गुष्ठविस्तृतहस्तः. (1) - प्रादेश (पुं)
मध्यमासहिताङ्गुष्ठविस्तृतहस्तः. (1) - ताल (पुं)
अनामिकासहिताङ्गुष्ठविस्तृतहस्तः. (1) - गोकर्ण (पुं)
प्रादेशतालगोकर्णास्तर्जन्यादियुते तते
2.6.83.2
कनिष्ठासहिताङ्गुष्टविस्तृतः. (2) - वितस्ति (स्त्री-पुं), द्वादशाङ्गुल (पुं)
अङ्गुष्ठे सकनिष्ठे स्याद्वितस्तिर्द्वादशाङ्गुलः
2.6.84.1
विस्तृताङ्गुलपाणिः. (3) - चपेट (पुं), प्रतल (पुं), प्रहस्त (पुं)
पाणौ चपेटप्रतलप्रहस्ता विस्तृताङ्गुलौ
2.6.84.2
वामदक्षिणपाण्यौ मिलितविस्तृताङ्गुली. (2) - संहतल (पुं), प्रतल (पुं)
द्वौ संहतौ संहतलप्रतलौ वामदक्षिणौ
2.6.85.1
अर्धाञ्जलिः. (1) - प्रसृति (स्त्री)
अञ्जलिः. (1) - अञ्जलि (पुं)
पाणिर्निकुब्जः प्रसृतिस्तौ युतावञ्जलिः पुमान्
2.6.85.2
विस्तृतकरः. (1) - हस्त (पुं)
प्रकोष्ठे विस्तृतकरे हस्तो मुष्ट्या तु बद्धया
2.6.86.1
बद्धमुष्टिहस्तः. (1) - रत्नि (स्त्री-पुं)
कनिष्ठिकायुक्तबद्धमुष्टिहस्तः. (1) - अरत्नि (स्त्री-पुं)
स रत्निः स्यादरत्निस्तु निष्कनिष्ठेन मुष्टिना
2.6.86.2
स्वे स्वे पार्श्वे प्रसारितबाहुमध्यम्. (1) - व्याम (पुं)
व्यामो बाह्वोः सकरयोस्ततयोस्तिर्यगन्तरम्
2.6.87.1
पुरुषप्रमाणम्. (1) - पौरुष (वि)
ऊर्ध्वविस्तृतदोः पाणिनृमाने पौरुषं त्रिषु
2.6.87.2
ग्रीवाग्रभागः. (2) - कण्ठ (वि), गल (पुं)
ग्रीवा. (3) - ग्रीवा (स्त्री), शिरोधि (स्त्री), कन्धरा (स्त्री)
कण्ठो गलोऽथ ग्रीवायां शिरोधिः कन्धरेत्यपि
2.6.88.1
शङ्खाकारग्रीवा. (1) - कम्बुग्रीवा (स्त्री)
ग्रीवायामुन्नतभागः. (3) - अवटु (पुं), घटा (स्त्री), कृकाटिका (स्त्री)
कम्बुग्रीवा त्रिरेखा सावटुर्घाटा कृकाटिका
2.6.88.2
वदनम्. (7) - वक्त्र (नपुं), आस्य (नपुं), वदन (नपुं), तुण्ड (नपुं), आनन (नपुं), लपन (नपुं), मुख (नपुं)
वक्त्रास्ये वदनं तुण्डमाननं लपनं मुखम्
2.6.89.1
नासिका. (5) - घ्राण (नपुं), गन्धवहा (स्त्री), घोणा (स्त्री), नासा (स्त्री), नासिका (स्त्री)
क्लीबे घ्राणं गन्धवहा घोणा नासा च नासिका
2.6.89.2
अधरोष्ठमात्रम्. (4) - ओष्ठ (पुं), अधर (पुं), रदनच्छद (पुं), दशनवासस् (नपुं)
ओष्ठाधरौ तु रदनच्छदौ दशनवाससी
2.6.90.1
ओष्ठाधोभागः. (1) - चिबुक (नपुं)
कपोलः. (2) - गण्ड (पुं), कपोल (पुं)
कपोलाधोभागः. (1) - हनु (पुं)
अधस्ताच्चिबुकं गण्डौ कपोलौ तत्परा हनुः
2.6.90.2
दन्तः. (4) - रदन (पुं), दशन (पुं), दन्त (पुं), रद (पुं)
तालुः. (2) - तालु (नपुं), काकुद (नपुं)
रदना दशना दन्ता रदास्तालु तु काकुदम्
2.6.91.1
जिह्वा. (3) - रसज्ञा (स्त्री), रसना (स्त्री), जिह्वा (स्त्री)
ओष्ठप्रान्तः. (1) - सक्कणी (नपुं)
रसज्ञा रसना जिह्वा प्रान्तावोष्ठस्य सृक्किणी
2.6.91.2
भालः. (3) - ललाट (नपुं), अलिक (नपुं), गोधि (पुं)
नेत्रोपरिभागस्थरोमराजिः. (1) - भ्रू (स्त्री)
ललाटमलिकं गोधिरूर्ध्वे दृग्भ्यां भ्रुवौ स्त्रियौ
2.6.92.1
भ्रूमध्यम्. (1) - कूर्च (पुं-नपुं)
नेत्रकनीनिका. (2) - तारकाक्षि (स्त्री), कनीनिका (स्त्री)
कूर्चमस्त्री भ्रुवोर्मध्यं तारकाक्ष्णः कनीनिका
2.6.92.2
नेत्रम्. (6) - लोचन (नपुं), नयन (नपुं), नेत्र (नपुं), ईक्षण (नपुं), चक्षुस् (नपुं), अक्षि (नपुं)
लोचनं नयनं नेत्रमीक्षणं चक्षुरक्षिणी
2.6.93.1
नेत्रम्. (2) - दृश् (स्त्री), दृष्टि (स्त्री)
अश्रुः. (5) - अस्रु (नपुं), नेत्राम्बु (नपुं), रोदन (नपुं), अस्र (नपुं), अश्रु (नपुं)
दृग्दृष्टी चास्रु नेत्राम्बु रोदनं चास्रमश्रु च
2.6.93.2
नेत्रप्रान्तः. (1) - अपाङ्ग (पुं)
अपाङ्गदर्शनचेष्टा. (2) - कटाक्ष (पुं), अपाङ्गदर्शन (नपुं)
अपाङ्गौ नेत्रयोरन्तौ कटाक्षोऽपाङ्गदर्शने
2.6.94.1
कर्णः. (6) - कर्ण (पुं), शब्दग्रह (पुं), श्रोत्र (नपुं), श्रुति (स्त्री), श्रवण (पुं), श्रवस् (नपुं)
कर्णशब्दग्रहौ श्रोत्रं श्रुतिः स्त्री श्रवणं श्रवः
2.6.94.2
शिरः. (5) - उत्तमाङ्ग (नपुं), शिरस् (नपुं), शीर्ष (नपुं), मूर्धन् (पुं), मस्तक (पुं-नपुं)
उत्तमाङ्गं शिरः शीर्षं मूर्धा ना मस्तकोऽस्त्रियाम्
2.6.95.1
केशः. (6) - चिकुर (पुं), कुन्तल (पुं), बाल (पुं), कच (पुं), केश (पुं), शिरोरुह (पुं)
चिकुरः कुन्तलो वालः कचः केशः शिरोरुहः
2.6.95.2
केशवृन्दम्. (2) - कैशिक (नपुं), कैश्य (नपुं)
कुटिलकेशाः. (2) - अलक (पुं), चूर्णकुन्तल (पुं)
तद्वृन्दे कैशिकं कैश्यमलकाश्चूर्णकुन्तलाः
2.6.96.1
ललाडगतकेशाः. (1) - भ्रमरक (पुं)
शिखा. (2) - काकपक्ष (पुं), शिखण्डक (पुं)
ते ललाटे भ्रमरकाः काकपक्षः शिखण्डकः
2.6.96.2
केशबन्धरचना. (2) - कबरी (स्त्री), केशवेश (पुं)
चूडासहितकेशः. (1) - धम्मिल्ल (पुं)
कबरी केशवेशोऽथ धम्मिल्लः संयताः कचाः
2.6.97.1
शिरोमध्यस्थचूडा. (3) - शिखा (स्त्री), चूडा (स्त्री), केशपाशी (स्त्री)
तपस्विजटा. (2) - सटा (स्त्री), जटा (स्त्री)
शिखा चूडा केशपाशी व्रतिनस्तु सटा जटा
2.6.97.2
रचितकेशः. (2) - वेणि (स्त्री), प्रवेणी (स्त्री)
निर्मलकेशः. (2) - शीर्षण्य (पुं), शिरस्य (पुं)
वेणी प्रवेणी शीर्षण्यशिरस्यौ विशदे कचे
2.6.98.1
केशात्कलापार्थः. (3) - पाश (पुं), पक्ष (पुं), हस्त (पुं)
पाशः पक्षश्च हस्तश्च कलापार्थाः कचात्परे
2.6.98.2
रोमः. (3) - तनूरुह (नपुं), रोमन् (नपुं), लोमन् (नपुं)
दाढिका. (1) - श्मश्रु (नपुं)
तनूरुहं रोम लोम तद्वृद्धौ श्मश्रु पुम्मुखे
2.6.99.1
अलङ्काररचनादिकृतशोभा. (5) - आकल्प (पुं), वेष (पुं), नेपथ्य (नपुं), प्रतिकर्मन् (नपुं), प्रसाधन (नपुं)
आकल्पवेषौ नेपथ्यं प्रतिकर्म प्रसाधनम्
2.6.99.2
अलङ्करणशीलः. (2) - अलङ्कर्तृ (वि), अलङ्करिष्णु (वि)
भूषितः. (1) - मण्डित (वि)
दशैते त्रिष्वलङ्कर्तालङ्करिष्णुश्च मण्डितः
2.6.100.1
भूषितः. (4) - प्रसाधित (वि), अलङ्कृत (वि), भूषित (वि), परिष्कृत (वि)
प्रसाधितोऽलङ्कृतश्च भूषितश्च परिष्कृतः
2.6.100.2
अलङ्कारादिना शोभमानः. (3) - विभ्राज् (वि), भ्राजिष्णु (वि), रोचिष्णु (वि)
भूषणक्रिया. (2) - भूषा (स्त्री), अलङ्क्रिया (स्त्री)
विभ्राड्भ्राजिष्णुरोचिष्णू भूषणं स्यादलङ्क्रिया
2.6.101.1
भूषणम्. (4) - अलङ्कार (पुं), आभरण (नपुं), परिष्कार (पुं), विभूषण (नपुं)
अलङ्कारस्त्वाभरणं परिष्कारो विभूषणम्
2.6.101.2
भूषणम्. (1) - मण्डन (नपुं)
किरीटम्. (2) - मुकुट (नपुं), किरीट (पुं-नपुं)
मण्डनं चाथ मुकुटं किरीटं पुन्नपुंसकम्
2.6.102.1
शिरोमणिः. (2) - चूडामणि (पुं), शिरोरत्न (नपुं)
हारमध्यगमणिः. (1) - तरल (पुं)
चूडामणिः शिरोरत्नं तरलो हारमध्यमगः
2.6.102.2
सीमन्तस्थितायाः स्वर्णादिपट्टिका. (2) - बालपाश्या (स्त्री), पारितथ्या (स्त्री)
ललाटाभरणम्. (2) - पत्रपाश्या (स्त्री), ललाटिका (स्त्री)
वालपाश्या पारितथ्या पत्रपाश्या ललाटिका
2.6.103.1
कर्णाभरणम्. (4) - कर्णिका (स्त्री), तालपत्र (नपुं), कुण्डल (नपुं), कर्णवेष्टन (नपुं)
कर्णिका तालपत्रं स्यात्कुण्डलं कर्णवेष्टनम्
2.6.103.2
कण्ठाभरणम्. (2) - ग्रैवेयक (नपुं), कण्ठभूषा (स्त्री)
लम्बमानकण्ठभूषणम्. (2) - लम्बन (नपुं), ललन्तिका (स्त्री)
ग्रैवेयकं कण्ठभूषा लम्बनं स्याल्ललन्तिका
2.6.104.1
सुवर्णलम्बकण्ठिका. (1) - प्रालम्बिका (स्त्री)
मौक्तिकमाला. (1) - उरःसूत्रिका (स्त्री)
स्वर्णैः प्रालम्बिकाथोरः सूत्रिका मौक्तिकैः कृता
2.6.104.2
मौक्तिकमाला. (2) - हार (पुं), मुक्तावली (स्त्री)
शतलतिकाहारः. (1) - देवच्छन्द (पुं)
हारो मुक्तावली देवच्छन्दोऽसौ शतयष्टिका
2.6.105.1
द्वात्रिंश्ल्लतिकाहारः. (1) - गुत्स (पुं)
चतुर्विंशतिलतिकाहारः. (1) - गुत्सार्ध (पुं)
चतुर्लतिकाहारः. (1) - गोस्तन (पुं)
हारभेदा यष्टिभेदाद्गुच्छगुच्छार्धगोस्तनाः
2.6.105.2
द्वादशलतिकाहारः. (1) - अर्धहार (पुं)
दशलतिकाहारः. (1) - माणवक (पुं)
एकलतिकाहारः. (1) - एकावली (स्त्री)
अर्धहारो माणवक एकावल्येकयष्टिका
2.6.106.1
सप्तविंशतिमुक्ताभिः कृता माला. (1) - नक्षत्रमाला (स्त्री)
सैव नक्षत्रमाला स्यात्सप्तविंशतिमौक्तिकैः
2.6.106.2
करवलयः. (4) - आवापक (पुं), पारिहार्य (पुं), कटक (पुं-नपुं), वलय (पुं-नपुं)
आवापकः पारिहार्यः कटको वलयोऽस्त्रियाम्
2.6.107.1
प्रगण्डाभूषणम्. (2) - केयूर (पुं-नपुं), अङ्गद (पुं-नपुं)
अङ्गुलीभूषणम्. (2) - अङ्गुलीयक (पुं-नपुं), ऊर्मिका (स्त्री)
केयूरमङ्गदं तुल्ये अङ्गुलीयकमूर्मिका
2.6.107.2
मुद्रिताङ्गुली. (1) - अङ्गुलिमुद्रा (स्त्री)
मणिबन्धभूषणम्. (2) - कङ्कण (नपुं), करभूषण (नपुं)
साक्षराङ्गुलिमुद्रा स्यात्कङ्कणं करभूषणम्
2.6.108.1
स्त्रीकटीभूषणम्. (4) - मेखला (स्त्री), काञ्ची (स्त्री), सप्तकी (स्त्री), रशना (स्त्री)
स्त्रीकट्यां मेखला काञ्ची सप्तमी रशना तथा
2.6.108.2
स्त्रीकटीभूषणम्. (1) - सारसन (नपुं)
पुंस्कटीभूषणम्. (1) - शृङ्खल (वि)
क्लीबे सारसनं चाथ पुंस्कट्यां शृङ्खलं त्रिषु
2.6.109.1
नूपुरः. (4) - पादाङ्गद (नपुं), तुलाकोटि (पुं), मञ्जीर (पुं-नपुं), नूपुर (पुं-नपुं)
पादाङ्गदं तुलाकोटिर्मञ्जीरो नूपुरोऽस्त्रियाम्
2.6.109.2
मणियुक्तनूपुरः. (2) - हंसक (पुं), पादकटक (पुं)
किङ्किणी. (2) - किङ्किणी (स्त्री), क्षुद्रघण्टिका (स्त्री)
हंसकः पादकटकः किङ्किणी क्षुद्रघण्टिका
2.6.110.1
वस्त्रयोनिः. (4) - त्वच् (स्त्री), फल (नपुं), कृमि (पुं), रोमन् (नपुं)
त्वक्फलकृमिरोमाणि वस्त्रयोनिर्दश त्रिषु
2.6.110.2
क्षौमवस्त्रम्. (1) - वाल्क (वि)
कार्पासवस्त्रम्. (3) - फाल (वि), कार्पास (वि), बादर (वि)
वाल्कं क्षौमादि फालं तु कार्पासं बादरं च तत्
2.6.111.1
कृमिकोशोत्थवस्त्रम्. (1) - कौशेय (वि)
मृगरोमजवस्त्रम्. (1) - राङ्कव (वि)
कौशेयं कृमिकोशोत्थं राङ्कवं मृगरोमजम्
2.6.111.2
छेदभोगक्षालनरहितवस्त्रम्. (4) - अनाहत (वि), निष्प्रवाणि (वि), तन्त्रक (वि), नवाम्बर (नपुं)
अनाहतं निष्प्रवाणि तन्त्रकं च नवाम्बरे
2.6.112.1
धौतवस्त्रयुगम्. (1) - उद्गमनीय (नपुं)
तत्स्यादुद्गमनीयं यद्धौतयोर्वस्त्रयोर्युगम्
2.6.112.2
धौतकौशेयम्. (2) - पत्रोर्ण (नपुं), धौतकौशेय (नपुं)
बहुमूल्यवस्त्रम्. (1) - बहुमूल्य (नपुं)
बहुमूल्यवस्तु. (1) - महाधन (नपुं)
पत्रोर्णं धौतकौशेयं बहुमूल्यं महाधनम्
2.6.113.1
पट्टवस्त्रम्. (2) - क्षौम (पुं-नपुं), दुकूल (नपुं)
आच्छादितवस्त्रम्. (2) - निवीत (वि), प्रावृत (वि)
क्षौमं दुकूलं स्याद्द्वे तु निवीतं प्रावृतं त्रिषु
2.6.113.2
वस्त्रान्तावयवः. (2) - दशा (स्त्री-पुं), वस्ति (स्त्री-पुं)
स्त्रियां बहुत्वे वस्त्रस्य दशाः स्युर्वस्तयोर्द्वयोः
2.6.114.1
दैर्घ्यम्. (3) - दैर्घ्य (नपुं), आयाम (पुं), आनाह (पुं)
विस्तारः. (2) - परिणाह (पुं), विशालता (स्त्री)
दैर्घ्यमायाम आरोहः परिणाहो विशालता
2.6.114.2
जीर्णवस्त्रम्. (2) - पटच्चर (नपुं), जीर्णवस्त्र (नपुं)
जीर्णवस्त्रखण्डः. (2) - नक्तक (पुं), कर्पट (पुं)
पटच्चरं जीर्णवस्त्रं समौ नक्तककर्पटौ
2.6.115.1
वस्त्रम्. (6) - वस्त्र (नपुं), आच्छादन (नपुं), वास (नपुं), चेल (नपुं), वसन (नपुं), अंशुक (नपुं)
वस्त्रमाच्छादनं वासश्चैलं वसनमंशुकम्
2.6.115.2
शोभनवस्त्रम्. (2) - सुचेलक (पुं), पट (पुं-नपुं)
स्थूलपटः. (2) - वराशि (पुं), स्थूलशाटक (पुं)
सुचेलकः पटोऽस्त्री स्याद्वराशिः स्थूलशाटकः
2.6.116.1
स्त्रीपिधानपटः. (2) - निचोल (वि), प्रच्छदपट (पुं)
कम्बलः. (2) - रल्लक (पुं), कम्बल (पुं)
निचोलः प्रच्छदपटः समौ रल्लककम्बलौ
2.6.116.2
परिधानम्. (4) - अन्तरीय (नपुं), उपसङ्ख्यान (नपुं), परिधान (नपुं), अधोम्शुक (नपुं)
अन्तरीयोपसंव्यानपरिधानान्यधोंशुके
2.6.117.1
उपरिवस्त्रम्. (3) - प्रावार (पुं), उत्तरासङ्ग (पुं), बृहतिका (स्त्री)
द्वौ प्रावारोत्तरासङ्गौ समौ बृहतिका तथा
2.6.117.2
उपरिवस्त्रम्. (2) - सङ्ख्यान (नपुं), उत्तरीय (नपुं)
स्त्रीणां कञ्चुलिशाख्यम्. (2) - चोल (पुं), कूर्पासक (पुं-नपुं)
संव्यानमुत्तरीयं च चोलः कूर्पासकोऽस्त्रियाम्
2.6.118.1
प्रावरणः. (1) - नीशार (पुं)
नीशारः स्यात्प्रावरणे हिमानिलनिवारणे
2.6.118.2
अर्धोरुपिधायकवस्त्रम्. (2) - अर्धोरुक (नपुं), चण्डातक (नपुं)
अर्धोरुकं वरस्त्रीणां स्याच्चण्डातकमस्त्रियाम्
2.6.119.1
पादाग्रपर्यन्तलम्बमानवस्त्रम्. (1) - आप्रपदीन (वि)
स्यात्त्रिष्वाप्रपदीनं तत्प्राप्नोत्याप्रपदं हि यत्
2.6.119.2
वितानम्. (2) - वितान (पुं-नपुं), उल्लोच (पुं)
वस्त्रगेहम्. (2) - दूष्य (नपुं), वस्त्रवेश्मन् (नपुं)
अस्त्री वितानमुल्लोचो दूष्याद्यं वस्त्रवेश्मनि
2.6.120.1
जवनिका. (3) - प्रतिसीरा (स्त्री), जवनिका (स्त्री), तिरस्करिणी (स्त्री)
प्रतिसीरा जवनिका स्यात्तिरस्करिणी च सा
2.6.120.2
शरीरशोभाककर्मः. (2) - परिकर्मन् (नपुं), अङ्गसंस्कार (पुं)
प्रोञ्चनादिनाङ्गनिर्मलीकरणम्. (3) - मार्ष्टि (स्त्री), मार्जना (स्त्री), मृजा (स्त्री)
परिकर्माङ्गसंस्कारः स्यान्मार्ष्टिर्मार्जना मृजा
2.6.121.1
उद्वर्तनद्रव्येणाङ्गनिर्मलीकरणम्. (2) - उद्वर्तन (नपुं), उत्सादन (नपुं)
स्नानम्. (2) - आप्लाव (पुं), आप्लव (पुं)
उद्वर्तनोत्सादने द्वे समे आप्लाव आप्लवः
2.6.121.2
स्नानम्. (1) - स्नान (नपुं)
चन्दनादिना देहविलेपनम्. (3) - चर्चा (स्त्री), चार्चिक्य (नपुं), स्थासक (पुं)
गतगन्धस्य प्रयत्नेनोद्बोधनम्. (1) - प्रबोधन (नपुं)
स्नानं चर्चा तु चार्चिक्यं स्थासकोऽथ प्रबोधनम्
2.6.122.1
गतगन्धस्य प्रयत्नेनोद्बोधनम्. (1) - अनुबोध (पुं)
कस्तूरिकादिना कपोलादौ रचिततिलकविशेषः. (2) - पत्रलेखा (स्त्री), पत्राङ्गुलि (स्त्री)
अनुबोधः पत्रलेखा पत्राङ्गुलिरिमे समे
2.6.122.2
ललाटकृततिलकम्. (4) - तमालपत्र (नपुं), तिलक (पुं-नपुं), चित्रक (नपुं), विशेषक (पुं-नपुं)
तमालपत्रतिलकचित्रकाणि विशेषकम्
2.6.123.1
कुङ्कुमम्. (1) - कुङ्कुम (नपुं)
द्वितीयं च तुरीयं च न स्त्रियामथ कुङ्कुमम्
2.6.123.2
कुङ्कुमम्. (5) - काश्मीरजन्मन् (नपुं), अग्निशिख (नपुं), वर (नपुं), बाह्लीक (नपुं), पीतन (नपुं)
काश्मीरजन्माग्निशिखं वरं वाह्लीकपीतने
2.6.124.1
कुङ्कुमम्. (5) - रक्त (नपुं), सङ्कोच (नपुं), पिशुन (नपुं), धीरन् (नपुं), लोहितचन्दन (नपुं)
रक्तसंकोचपिशुनं धीरं लोहितचन्दनम्
2.6.124.2
लाक्षा. (6) - लाक्षा (स्त्री), राक्षा (स्त्री), जतु (नपुं), याव (पुं), अलक्त (पुं), द्रुमामय (पुं)
लाक्षा राक्षा जतु क्लीबे यावोऽलक्तो द्रुमामयः
2.6.125.1
लवङ्गम्. (3) - लवङ्ग (नपुं), देवकुसुम (नपुं), श्रीसंज्ञ (नपुं)
सुगन्धद्रव्यभेदः. (1) - जायक (नपुं)
लवङ्गं देवकुसुमं श्रीसंज्ञमथ जायकम्
2.6.125.2
सुगन्धद्रव्यभेदः. (2) - कालीयक (नपुं), कालानुसार्य (नपुं)
अगरु. (1) - समार्थक (वि)
कालीयकं च कालानुसार्यं चाथ समार्थकम्
2.6.126.1
अगरु. (6) - वंशका (नपुं), अगुरु (नपुं), राजार्ह (नपुं), लोह (नपुं), कृमिज (नपुं), जोङ्गक (नपुं)
वंशिकागुरुराजार्हलोहकृमिजजोङ्गकम्
2.6.126.2
कालागुरु. (2) - कालागुरु (नपुं), अगुरु (नपुं)
मङ्गल्या. (2) - मङ्गल्या (नपुं), मल्लिगन्धि (नपुं)
कालागुर्वगुरु स्यात्तु मङ्गल्या मल्लिगन्धि यत्
2.6.127.1
रालः. (4) - यक्षधूप (पुं), सर्जरस (पुं), राल (पुं), सर्वरस (पुं)
यक्षधूपः सर्जरसो रालसर्वरसावपि
2.6.127.2
रालः. (1) - बहुरूप (पुं)
दशाङ्गादिधूपः. (2) - वृकधूप (पुं), कृत्रिमधूपक (पुं)
बहुरूपोऽप्यथ वृकधूपकृत्रिमधूपकौ
2.6.128.1
सिल्हाख्यगन्धद्रव्यम्. (4) - तुरुष्क (पुं), पिण्डक (पुं), सिल्ह (पुं), यावन (पुं)
सरलद्रवः. (1) - पायस (पुं)
तुरुष्कः पिण्डकः सिह्लो यावनोऽप्यथ पायसः
2.6.128.2
सरलद्रवः. (4) - श्रीवास (पुं), वृकधूप (पुं), श्रीवेष्ट (पुं), सरलद्रव (पुं)
श्रीवासो वृकधूपोऽपि श्रीवेष्टसरलद्रवौ
2.6.129.1
कस्तूरी. (3) - मृगनाभि (पुं), मृगमद (पुं), कस्तूरी (स्त्री)
फलकर्पूरः. (1) - कोलक (नपुं)
मृगनाभिर्मृगमदः कस्तूरी चाथ कोलकम्
2.6.129.2
फलकर्पूरः. (2) - कक्कोलक (नपुं), कोशफल (नपुं)
कर्पूरम्. (1) - कर्पूर (पुं-नपुं)
कक्कोलकं कोशफलमथ कर्पूरमस्त्रियाम्
2.6.130.1
कर्पूरम्. (4) - घनसार (पुं), चन्द्रसंज्ञ (पुं), सिताभ्र (पुं), हिमवालुका (स्त्री)
घनसारश्चन्द्रसंज्ञः सिताभ्रो हिमवालुका
2.6.130.2
चन्दनः. (4) - गन्धसार (पुं), मलयज (पुं), भद्रश्री (स्त्री), चन्दन (पुं-नपुं)
गन्धसारो मलयजो भद्रश्रीश्चन्दनोऽस्त्रियाम्
2.6.131.1
चन्दनविशेषः. (3) - तैलपर्णिक (नपुं), गोशीर्ष (नपुं), हरिचन्दन (पुं-नपुं)
तैलपर्णिकगोशीर्षे हरिचन्दनमस्त्रियाम्
2.6.131.2
रक्तचन्दनः. (4) - तिलपर्णी (स्त्री), पत्राङ्ग (नपुं), रञ्जन (नपुं), रक्तचन्दन (नपुं)
तिलपर्णी तु पत्राङ्गं रञ्जनं रक्तचन्दनम्
2.6.132.1
रक्तचन्दनः. (1) - कुचन्दन (नपुं)
जातीफलम्. (2) - जातीकोश (नपुं), जातीफल (नपुं)
कुचन्दनं चाथ जातीकोशजातीफले समे
2.6.132.2
लेपविशेषः. (1) - यक्षकर्दम (पुं)
कर्पूरागुरुकस्तूरीकक्कोलैर्यक्षकर्दमः
2.6.133.1
गात्रानुलेपयोग्यसुगन्धिद्रव्यम्. (4) - गात्रानुलेपनी (स्त्री), वर्ति (स्त्री), वर्णक (नपुं), विलेपन (नपुं)
गात्रानुलेपनी वर्तिर्वर्णकं स्याद्विलेपनम्
2.6.133.2
पटवासादिक्षोदचूर्णाः. (2) - चूर्ण (नपुं), वासयोग (पुं)
द्रव्यभावितवस्तु. (2) - भावित (वि), वासित (वि)
चूर्णानि वासयोगाः स्युर्भावितं वासितं त्रिषु
2.6.134.1
गन्धपुष्पोपचारः. (1) - अधिवासन (नपुं)
संस्कारो गन्धमाल्याद्यैर्यः स्यात्तदधिवासनम्
2.6.134.2
मूर्ध्निधृतकुसुमावलिः. (3) - माल्य (नपुं), माला (स्त्री), स्रज् (स्त्री)
केशमध्यगर्भमाला. (1) - गर्भक (पुं)
माल्यं मालास्रजौ मूर्ध्नि केशमध्ये तु गर्भकः
2.6.135.1
शिखायां लम्बमानपुष्पमाला. (1) - प्रभ्रष्टक (नपुं)
ललाटधृतपुष्पमाला. (1) - ललामक (नपुं)
प्रभ्रष्टकं शिखालम्बि पुरोन्यस्तं ललामकम्
2.6.135.2
कण्ठे ऋजुलम्बमानपुष्पमाला. (1) - प्रालम्ब (नपुं)
यज्ञोपवीतवर्त्तियग्धृतपुष्पमाला. (1) - वैकक्षिक (नपुं)
प्रालम्बमृजुलम्बि स्यात्कण्ठाद्वैकक्षिकं तु तत्
2.6.136.1
शिखास्थमाल्यम्. (2) - आपीड (पुं), शेखर (पुं)
यत्तिर्यक्क्षिप्तमुरसि शिखास्वापीडशेखरौ
2.6.136.2
माल्यादिरचना. (2) - रचना (स्त्री), परिस्पन्द (पुं)
सर्वोपचारपरिपूर्णता. (2) - आभोग (पुं), परिपूर्णता (स्त्री)
रचना स्यात्परिस्यन्द आभोगः परिपूर्णता
2.6.137.1
शिरोनिधानम्. (2) - उपधान (नपुं), उपबर्ह (पुं)
शय्या. (2) - शय्या (स्त्री), शयनीय (नपुं)
उपधानं तूपबर्हः शय्यायां शयनीयवत्
2.6.137.2
शय्या. (1) - शयन (नपुं)
पर्यङ्कः. (4) - मञ्च (पुं), पर्यङ्क (पुं), पल्यङ्क (पुं), खट्वा (स्त्री)
शयनं मञ्चपर्यङ्कपल्यङ्काः खट्वया समाः
2.6.138.1
कन्दुकः. (2) - गेन्दुक (पुं), कन्दुक (पुं)
दीपः. (2) - दीप (पुं), प्रदीप (पुं)
आसनम्. (2) - पीठ (नपुं), आसन (नपुं)
गेन्दुकः कन्दुको दीपः प्रदीपः पीठमासनम्
2.6.138.2
सम्पुटः. (2) - समुद्गक (पुं), सम्पुटक (पुं)
प्रतिग्राहः. (2) - प्रतिग्राह (पुं), पतद्ग्रह (पुं)
समुद्गकः सम्पुटकः प्रतिग्राहः पतद्ग्रहः
2.6.139.1
केशमार्जनी. (2) - प्रसाधनी (स्त्री), कङ्कतिका (स्त्री)
पटवासकचूर्णः. (2) - पिष्टात (पुं), पटवासक (पुं)
प्रसाधनी कङ्कतिका पिष्टातः पटवासकः
2.6.139.2
दर्पणः. (3) - दर्पण (पुं-नपुं), मुकुर (पुं), आदर्श (पुं)
व्यजनम्. (2) - व्यजन (नपुं), तालवृन्तक (नपुं)
दर्पणे मुकुरादर्शौ व्यजनं तालवृन्तकम्
2.6.140.1

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