अमरकोषसम्पद्

         

वृजिन (नपुं) == पापम्

कलुषं वृजिनैनोऽघमंहो दुरितदुष्कृतम् 
कालवर्गः 1.4.23.2.2

पर्यायपदानि
 अस्त्री पङ्कः पुमान्पाप्मा पापं किल्बिषकल्मषम्।
 कलुषं वृजिनैनोऽघमंहो दुरितदुष्कृतम्॥

 पङ्क (पुं-नपुं)
 पाप्मन् (पुं)
 पाप (नपुं)
 किल्बिष (नपुं)
 कल्मष (नपुं)
 कलुष (नपुं)
 वृजिन (नपुं)
 एनस् (नपुं)
 अघ (नपुं)
 अंहस् (नपुं)
 +अंघस् (नपुं)
 दुरित (नपुं)
 दुष्कृत (नपुं)
अर्थान्तरम्
 अरालं वृजिनं जिह्ममूर्मिमत्कुञ्चितं नतम्।
 क्लेशेऽपि वृजिनो विश्वकर्मार्कसुरशिल्पिनोः।

 वृजिन (वि) - वक्रम् 3.1.71.1
 वृजिन (पुं) - केशः 3.3.109.1
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