अमरकोषसम्पद्

         

पुण्य (वि) == मनोरमम्

आत्मवाननपेतोऽर्थादर्थ्यौ पुण्यं तु चार्वपि 
नानार्थवर्गः 3.3.160.2.2

पर्यायपदानि
 प्राप्तरूपस्वरूपाभिरूपा बुधमनोज्ञयोः॥
 नैगमौ द्वौ बले रामो नीलचारुसिते त्रिषु॥
 आत्मवाननपेतोऽर्थादर्थ्यौ पुण्यं तु चार्वपि॥

 प्राप्तरूप (वि)
 स्वरूप (वि)
 अभिरूप (वि)
 राम (वि)
 पुण्य (वि)
अर्थान्तरम्
 स्याद्धर्ममस्त्रियां पुण्यश्रेयसी सुकृतं वृषः।

 पुण्य (नपुं) - धर्मः 1.4.24.1
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