अमरकोषसम्पद्

         

मल (पुं-नपुं) == पापम्

मलोऽस्त्री पापविट्किट्टान्यस्त्री शूलं रुगायुधम् 
नानार्थवर्गः 3.3.197.2.1

पर्यायपदानि
 दीनारेऽपि च निष्कोऽस्त्री कल्कोऽस्त्री शमलैनसोः।
 मलोऽस्त्री पापविट्किट्टान्यस्त्री शूलं रुगायुधम्॥
 पापापराधयोरागः खगबाल्यादिनोर्वयः॥
 पापकुत्सेषदर्थे कु धिङ्निर्भत्सननिन्दयोः॥

 कल्क (पुं-नपुं)
 मल (पुं-नपुं)
 आगस् (नपुं)
 कु (स्त्री)
अर्थान्तरम्
 तिलकं क्लोम मस्तिष्कं गोर्दं किट्टं मलोऽस्त्रियाम्॥
 मलोऽस्त्री पापविट्किट्टान्यस्त्री शूलं रुगायुधम्॥

 मल (पुं-नपुं) - मलम् 2.6.65.2
 मल (पुं-नपुं) - पुराणकिट्टम् 3.3.197.2
मल (पुं-नपुं) == पुराणकिट्टम्

मलोऽस्त्री पापविट्किट्टान्यस्त्री शूलं रुगायुधम् 
नानार्थवर्गः 3.3.197.2.1

पर्यायपदानि
 दीनारेऽपि च निष्कोऽस्त्री कल्कोऽस्त्री शमलैनसोः।
 मलोऽस्त्री पापविट्किट्टान्यस्त्री शूलं रुगायुधम्॥
 पापापराधयोरागः खगबाल्यादिनोर्वयः॥
 पापकुत्सेषदर्थे कु धिङ्निर्भत्सननिन्दयोः॥

 कल्क (पुं-नपुं)
 मल (पुं-नपुं)
 आगस् (नपुं)
 कु (स्त्री)
अर्थान्तरम्
 तिलकं क्लोम मस्तिष्कं गोर्दं किट्टं मलोऽस्त्रियाम्॥
 मलोऽस्त्री पापविट्किट्टान्यस्त्री शूलं रुगायुधम्॥

 मल (पुं-नपुं) - मलम् 2.6.65.2
 मल (पुं-नपुं) - पुराणकिट्टम् 3.3.197.2
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