अमरकोषसम्पद्

         

वृषाकपि (पुं) == विष्णुः

गोधुग्गोष्ठपती गोपौ हरविष्णू वृषाकपी 
नानार्थवर्गः 3.3.130.1.2

पर्यायपदानि
 गोधुग्गोष्ठपती गोपौ हरविष्णू वृषाकपी।
 विपुले नकुले विष्णौ बभ्रुर्ना पिङ्गले त्रिषु।
 शुकाहिकपिभेकेषु हरिर्ना कपिले त्रिषु॥
 विष्णौ च वेधाः स्त्री त्वाशीर्हिताशंसाहिदंष्ट्रयोः॥
 अजा विष्णुहरच्छागा गोष्ठाध्वनिवहा व्रजाः॥
 विष्णावप्यजिताव्यक्तौ सूतस्त्वष्टरि सारथौ।

 अज (पुं)
 अजित (पुं)
 अव्यक्त (पुं)
 वृषाकपि (पुं)
 बभ्रु (पुं)
 हरि (पुं)
 वेधस् (पुं)
अर्थान्तरम्
 गोधुग्गोष्ठपती गोपौ हरविष्णू वृषाकपी।

 वृषाकपि (पुं) - शिवः 3.3.130.1
वृषाकपि (पुं) == शिवः

गोधुग्गोष्ठपती गोपौ हरविष्णू वृषाकपी 
नानार्थवर्गः 3.3.130.1.2

पर्यायपदानि
 गोधुग्गोष्ठपती गोपौ हरविष्णू वृषाकपी।
 विपुले नकुले विष्णौ बभ्रुर्ना पिङ्गले त्रिषु।
 शुकाहिकपिभेकेषु हरिर्ना कपिले त्रिषु॥
 विष्णौ च वेधाः स्त्री त्वाशीर्हिताशंसाहिदंष्ट्रयोः॥
 अजा विष्णुहरच्छागा गोष्ठाध्वनिवहा व्रजाः॥
 विष्णावप्यजिताव्यक्तौ सूतस्त्वष्टरि सारथौ।

 अज (पुं)
 अजित (पुं)
 अव्यक्त (पुं)
 वृषाकपि (पुं)
 बभ्रु (पुं)
 हरि (पुं)
 वेधस् (पुं)
अर्थान्तरम्
 गोधुग्गोष्ठपती गोपौ हरविष्णू वृषाकपी।

 वृषाकपि (पुं) - शिवः 3.3.130.1
- Show pada
- Show sloka
- Show varga
- Search amarakosha
- Search apte dictionary
- Play audio
- Copy link to clipboard
- Report an issue